"वेदांग": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
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जिह्वामूलम् – जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम् (जिह्वामूलीय क्‚ ख्)
 
नासिका – नासिकानुस्वारस्य (ं = अनुस्वारः)
 
 
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व्याकरण के प्रयोजन
आचार्य वररुचि ने व्याकरण के पाँच प्रयोजन बताए हैं- (1) रक्षा (2) ऊह (3) आगम (4) लघु (5) असंदेह
 
(1) व्याकरण का अध्ययन वेदों की रक्षा करना है।