"संरचनावाद (मनोविज्ञान)": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो बॉट: वर्तनी एकरूपता।
पंक्ति 1:
'''मनोविज्ञान में संरचनावाद''' (Structuralism in psychology) या '''संरचनात्मक मनोविज्ञान''' (structural psychology), [[विल्हेम वुन्ट]] तथा एडवर्ड ब्रडफोर्ड टिचनर द्वारा विकसित एक चेतना सिद्धान्त''' (theory of consciousness) है।
 
मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को जाता है, जिसके प्रवर्तक [[विलियम बुण्ट]] (1832-1920) तथा ई.बी. टिचनर (1867-1927) थे। इन्होनें अमेरिका के [[कार्नेल विश्वविद्यालय]] में इसकी शुरूआत की। बुण्ट ने 1879 में [[लिपजिंग विश्वविद्यालय]] में मनोविज्ञान की प्रथम [[प्रयोगशाला]] की स्थापना की और मनोविज्ञान के स्वरूप को [[प्रयोग|प्रयोगात्मक]] बना दिया। बुण्ट ने मनोविज्ञान को चेतन अनुभूति का अध्ययन करने वाला माना, जिसे मूलतः दो तत्वों में विश्लेषित किया जा सकता था। वे दो तत्व थे- संवदेन तथा भाव। बुण्ट ने चेतन को वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) तत्व बताया। बुण्ट का विचार था कि प्रत्येक भाव का अध्ययन तीन विभाओं में अवस्थित किया जा सकता है- उत्तेजना-शांत, तनाव-शिथिलन तथा सुखद-दुःखद। इसे भाव का '''त्रिविमीय सिद्धान्त''' कहा गया। टिचनर ने बुण्ट की विचारधारा को उन्नत बनाते हुये कहा कि चेतना के दो नहीं तीन तत्व होते है- संवदेन, प्रतिमा तथा अनुराग। टिचनर ने बुण्ट के समान अन्तःनिरीक्षण को मनोविज्ञान की एक प्रमुख विधि माना है। बुण्ट ने चेतना के तत्वों की दो विशेषताएं बतायी थी- गुण तथा तीव्रता। टिचनर ने इनकी संख्या चार कर दी- गुण, तीव्रता, स्पष्टता तथा अवधि। टिचनर ने ध्यान प्रत्यक्षण, साहचर्य, संवेदन आदि क्षेत्रों में भी अपना योगदान दिया।
 
== संरचनावाद का शिक्षा में योगदान ==