"समाजवाद": अवतरणों में अंतर
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== सिंडिकवाद ==
'''{{मुख्य|सिंडिकवाद}}'''
सिंडिकवाद और गिल्ड समाजवाद का जन्म उन्नीसवीं शताब्दी के अंत और बीसवीं के आरंभ में हुआ। उस समय तक फेबियस और पुनरावृत्तिवाद में मजदूरों का विश्वास
सिंडिकवाद अन्य समाजवादियों की भाँति समाजवादी व्यवस्था के पक्ष में है परंतु अराजकतावादियों की तरह वह राज्य का अंत कर स्थानीय समुदायों के हाथ में सामाजिक नियंत्रण चाहता है। वह इस नियंत्रण को केवल उत्पादक वर्ग (मजदूर) तक ही सीमित रखना चाहता है। अराजकतावादियों की भाँति सिंडिकावादी भी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संघों के समर्थक और राज्य, राजनीतिक दल, युद्ध और सैन्यवाद के विरोधी हैं।
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{{मुख्य|श्रेणी समाजवाद}}
गिल्ड समाजवाद सिंडिकवाद की प्रतिलिपि मात्र नहीं, उसका ब्रिटिश परिस्थितियों में अभ्यनुकूलन (adaptation) है। गिल्ड समाजवाद के ऊपर स्वाधीनता की परंपरा और फेबियसवाद का भी प्रभाव है। इसका नाम यूरोप के मध्यकालीन व्यावसायिक
प्रथम महायुद्ध के पूर्व और उसके बीच में इस विचारधारा का प्रभाव बढ़ा। युद्ध के समय मजदूरों ने रक्षा-उद्योगों पर नियंत्रण की माँग की और उसके बाद मजदूर संघों ने स्वयं मकान बनाने के ठेके लिए, परंतु कुछ काल बाद सरकारी सहायता न मिलने पर ये प्रयोग असफल हुए। गिल्ड समाजवाद के प्रमुख समर्थकों में आर्थर पेंटी (Arther Penty), हाब्सन (Hobson), ऑरेंज (Orange) और कोल (Cole) के नाम उल्लेखनीय हैं। ब्रिटेन का मजदूर दल और मजदूर आंदोलन इस विचारधारा से विशेष प्रभावित हुए हैं।
== साम्यवाद ==
[[चित्र:Commune 28 mars.jpeg|right|thumb|300px|पेरिस कम्यून के चुनाव का जश्न मनाते लोग (२८ मार्च १८७१);
'''मुख्य लेख [[साम्यवाद]] देखिये।'''
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हमेशा दुनिया में जितनी भी क्रांति हुई उसमे पश्चिम के विचारको के विचारो को ही आधार बनाया गया !
दुनिआ में सबसे पहला साम्यवाद विचारक प्लेटो था किन्तु उसके साम्यवाद में भी कुछ कमिया थी जैसे परिवार का साम्यवाद और उसके बाद अरस्तु भी एक साम्यवादी था जो की प्लेटो का ही शिस्य था उसने जो विचार साम्यवाद और क्रांति के लिए दिए वो अपनी तरह के आधुनिक थे उसने राज्य को एक नया आदरसावादी सिद्धांत दिया अरस्तु के अनुसार क्रांति के लिए हथियारों की जरुरत नही वह तो लोकतंत्र में मतों के द्वारा लाया जा सकता हे और मतों का प्रयोग करके समाजवाद की स्थापना करना आसान होता है अरस्तु को प्लेटो अपने विद्यालय का दिमाग खा करता था
और साम्यवादी विचारक को लिया जाये तो मार्क्स और एंगेल्स को प्रथम स्थान दिया जाता है अगर वो न होते तो आज साम्यवाद किया है हम नही जान पाते मार्क्स एक महान नेता होता अगर उसकी क्रांतियाँ सफल हो जाती मगर उसकी क्रांति विद्रोह ही बनकर रह गई वो एक ऐसा सख्स था जो कभी भी
<big>मार्क्स</big>
मार्क्स लिखता हे की दुनिया में शुरू से ही वर्ग नही थे
पहले दुनिआ में कोई भी वर्ग नही था धीरे धीरे लोगों ने संपत्ति अर्जित करना शुरू किया और बाद में जिनके पास संपत्ति जियादा हो गई तो उन्होंने कमजोर लोगों पर अपना हुकुम चलना शुरू कर दिया और वो खुद को उनका
और फिर बाद में पूंजीवाद का डोर आया जिसमे पूंजीवादी लोगो ने फिर ग़रीबो का खून चूसना शुरू कर दिया और संपत्ति का आधे से जियादा अंस अपने कब्ज़े में करर अपने को खुदा बना बैठे
मार्क्स की महान कीर्ति थी कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो
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