"साक्षात्कार": अवतरणों में अंतर
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यदि साक्षात्कार के दौरान ये शर्तें प्रश्न निर्माण, वास्तविक संचालन, उम्मीदवार के मानसिक स्तर, उसकी तत्परता और भाग लेने की इच्छा आदि विविध स्तरों पर पूरी हो जाती है तो इसके फलस्वरूप दिया गया मापन और निर्णय भी बेजोड़ होगा। एक सफल साक्षात्कारकर्त्ता मृदुभाषी के साथ धैर्यपूर्वक सुनने वाला भी होता है। सारी सूचनाएं साक्षात्कारकर्त्ता से होकर ही गुजरती है। इसलिए साक्षात्कारकर्त्ता का यह धर्म है कि वह काम की सूचनाओं को एकत्र करे, सूचना-संकेतों की तौल करे, उन्हें सही रूप से समन्वित करे और अन्त में आवेदक के चयन के बारे में निर्णय पर पहुंचे। साक्षात्कार की रचना वार्तालाप (Conservation) से ही होती है। इसलिए इसकी सफलता भी दोनों पक्षों की वार्तालापीय कौशल से निर्धारित होगी। किसी अप्रत्याशित घटना के द्वारा कभी-कभी साक्षात्कार के दौरान स्थापित अनुबंध बिगड़ जाये तो ऐसी स्थिति में पुनः नए सिरे से संतुलन खोजने की स्थिति आ जाती है। उद्योगों में साक्षात्कार का चिकित्सात्मक उपयोग भी होने लगा हैं। सभी जगह संरचित साक्षात्कार (Structured interview) का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान में साक्षात्कार के सिद्धान्त
*(१) आवेदन में निहित कारक
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साक्षात्कार विधियों में त्रुटियों के कारण इस प्रणाली में पूरा भरोसा करना कठिन है। निरीक्षण से स्पष्ट है कि उम्मीदवारों का मूल्यांकन करने में विभिन्न साक्षात्कारकर्त्ताओं द्वारा प्रचुर भिन्नताएं सामने आती हैं। साक्षात्कार एक सर्वाधिक आत्मनिष्ठ (सब्जेक्टिव) विधि है। चूंकि मूल्यांकनों में सतत अनुरूपता नहीं होती, इसलिए इस विधि को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता। जो विधि विश्वसनीय नहीं है, वह सत्य होने का दावा भी नहीं कर सकती है।
स्कॉट (Scott), हालिंगवर्थ (Holling wroth, 1922) तथा वैनगर (Wanger, 1949) आदि ने इस पर अध्ययन किया। सभी ने इस विधि
=== अनुकूलित प्रतिक्रियाएं (Conditioned Reactions)===
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=== साक्षात्कार के समय सामान्य घबराहट (General Nervousness in Interviewee)===
साक्षात्कार के समय आवेदक पूर्णतः उन्मुक्त न रहकर अधिकांश भयभीत दिखते हैं। यह भी संभव हो सकता है कि कोई उम्मीदवार घबराकर अपनी योग्यताओं और विचारों को बोर्ड के समक्ष सही रूप में नहीं रख पाता है। इसके विपरीत दुर्बल आवेदक बार-बार साक्षात्कार देने के कारण बोर्ड को प्रभावित कर लेते हो। उम्मीदवार की योग्यता और उपलब्धि पर ही साक्षात्कार की सफलता निर्भर नहीं करती है बल्कि इस प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने की चतुराई और कौशल पर निर्भर
=== अनुकरण प्रवृत्तियां===
इसमें व्यक्ति दूसरों के व्यवहारों तथा शिष्टाचारों
=== साक्षात्कार में व्यर्थ शब्दावलियों को परिभाषित करने की असमर्थता===
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=== उम्मीदवारों को वस्तुनिष्ठ क्रिया करने का प्रचुर अवसर प्रदान करना (Providing ample scope for objective performance)===
साक्षात्कार मात्र विचार विनिमय ही नहीं है। साक्षात्कार में साक्षात्कार्थी के बाह्य व्यवहारों को भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इस स्थिति में साक्षात्कार व्यवहार
=== साक्षात्कार प्रमाणीकृत हो===
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