"सूर्य": अवतरणों में अंतर
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|url=http://www.guardian.co.uk/science/2012/aug/16/sun-perfect-sphere-nature
|title=Sun is the most perfect sphere ever observed in nature | publisher=the Guardian | date=16 अगस्त 2012 | accessdate=August 19, 2012
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|arxiv = 0905.0651 }}</ref><ref name=NASA1>{{cite web|url=http://solarscience.msfc.nasa.gov/interior.shtml |title=NASA/Marshall Solar Physics |publisher=Solarscience.msfc.nasa.gov |date=2007-01-18 |accessdate=2009-07-11}}</ref> (पानी के घनत्व का लगभग 150 गुना) और तापमान 15.7 करोड़ केल्विन के करीब का है।<ref name=NASA1/> इसके विपरीत, सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5,800 केल्विन है। [[सौर एवं सौरचक्रीय वेधशाला (सोहो) | सोहो]] मिशन डेटा के हाल के विश्लेषण विकिरण क्षेत्र के बाकी हिस्सों की तुलना में कोर के तेज घूर्णन दर का पक्ष लेते है।<ref name="Garcia2007"/> सूर्य के अधिकांश जीवन में, ऊर्जा [[p–p (प्रोटॉन-प्रोटॉन) श्रृंखला]]<sup>[[:en:Proton–proton chain reaction|En]]</sup> कहलाने वाली एक चरणबद्ध श्रृंखला के माध्यम से [[नाभिकीय संलयन]] द्वारा उत्पादित हुई है; यह प्रक्रिया [[हाइड्रोजन]] को [[हीलियम]] में रुपांतरित करती है।<ref>{{Cite journal|last=Broggini|first=Carlo|date=26–28 जून 2003|page=21|journal=Physics in Collision|title=Nuclear Processes at Solar Energy|bibcode=2003phco.conf...21B|arxiv=astro-ph/0308537|ref=harv}}</ref> सूर्य की उत्पादित ऊर्जा का मात्र 0.8% [[CNO चक्र]]<sup>[[:en:CNO cycle | En]]</sup> से आता है।<ref name=jpcs271_1_012031>{{Cite journal | last1=Goupil | first1=M. J. | last2=Lebreton | first2=Y. | last3=Marques | first3=J. P. | last4=Samadi | first4=R. | last5=Baudin | first5=F. | title=Open issues in probing interiors of solar-like oscillating main sequence stars 1. From the Sun to nearly suns | journal=Journal of Physics: Conference Series | volume=271 | issue=1 | page=012031 | month=January | year=2011 | doi=10.1088/1742-6596/271/1/012031 | bibcode=2011JPhCS.271a2031G | display-authors=1 | postscript=<!-- Bot inserted parameter. Either remove it; or change its value to "." for the cite to end in a ".", as necessary. -->{{inconsistent citations}} |arxiv = 1102.0247 }}</ref>
सूर्य में कोर अकेला ऐसा क्षेत्र है जो संलयन के माध्यम से तापीय ऊर्जा की एक बड़ी राशि का उत्पादन करता है; 99% शक्ति सूर्य की त्रिज्या के 24% के भीतर उत्पन्न हुई है, तथा त्रिज्या के 30% द्वारा संलयन लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इस तारे का शेष
कोर में [[प्रोटॉन-प्रोटॉन श्रृंखला]] दरेक सेकंड 9.2×10<sup>37</sup> बार पाई जाती है। यह अभिक्रिया चार मुक्त [[प्रोटॉन | प्रोटॉनों]] (हाइड्रोजन नाभिक) का प्रयोग करती है, यह हर सेकंड करीब 3.7×10<sup>38</sup> प्रोटॉनों को [[अल्फा कण | अल्फा कणों]] (हीलियम नाभिक) में तब्दील करती है (सूर्य के कुल ~8.9×10<sup>56</sup> मुक्त प्रोटॉनों में से), या लगभग 6.2× 10<sup>11</sup> किलो प्रति सेकंड।<ref name=Phillips1995-47/>
कोर में संलयन से शक्ति का उत्पादन सौर केंद्र से दूरी के साथ बदलता रहता है। सूर्य के केंद्र पर, सैद्धांतिक मॉडलों के आकलन में यह तकरीबन 276.5 वाट/मीटर<sup>3</sup> होना है,<ref>[http://fusedweb.llnl.gov/CPEP/Chart_Pages/5.Plasmas/Sunlayers.html Table of temperatures, power densities, luminosities by radius in the Sun]. Fusedweb.llnl.gov (1998-11-09). Retrieved on 2011-08-30.</ref>
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=== निर्माण ===
सूर्य एक विशाल [[आणविक बादल]] के हिस्से के ढहने से करीब 4.57 अरब वर्ष पूर्व गठित हुआ है जो अधिकांशतः हाइड्रोजन और हीलियम का बना है और शायद इन्ही ने कई अन्य तारों को बनाया है
|last=Bonanno |first=A. |last2=Schlattl |first2=H. |last3=Paternò |first3=L.
|title=The age of the Sun and the relativistic corrections in the EOS
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|doi=10.1038/nature03882
|ref=harv
|bibcode = 2005Natur.436.1127B }}</ref> प्राचीन [[उल्कापात | उल्कापातों]] के अध्ययन अल्पजीवी आइसोटोपो के स्थिर नाभिक के निशान दिखाते है, जैसे कि [[लौह-60]], जो केवल विस्फोटित, अल्पजीवी तारों में निर्मित होता है | यह इंगित करता है कि वह स्थान जहां पर सूर्य बना के नजदीक एक या एक से ज्यादा सुपरनोवा अवश्य पाए जाने चाहिए |
=== मुख्य अनुक्रम ===
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|accessdate=2008-06-19
}}</ref>]]
सूर्य के निरीक्षण के लिए रचे गए प्रथम उपग्रह [[नासा]] के [[पायोनियर कार्यक्रम | पायनियर]] 5, 6, 7, 8 और 9 थे | यह 1959 और 1968 के बीच प्रक्षेपित हुए थे |
|last=Wade |first=M.
|title=Pioneer 6-7-8-9-E
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1970 के दशक में, दो अंतरिक्ष यान [[हेलिओस (अंतरिक्ष यान) | हेलिओस]] और [[स्काईलैब]] [[अपोलो टेलीस्कोप माउंट]] <sup>[[:en:Apollo Telescope Mount|En]]</sup> ने सौर वायु व सौर कोरोना के महत्वपूर्ण नए डेटा वैज्ञानिकों को प्रदान किए | हेलिओस 1 और 2 यान अमेरिकी-जर्मनी सहकार्य थे | इसने अंतरिक्ष यान को [[बुध]] की कक्षा के भीतर {{उपसौर}} की ओर ले जा रही कक्षा से सौर वायु का अध्ययन किया |<ref name=Burlaga2001/> 1973 में स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन नासा द्वारा प्रक्षेपित हुआ | इसने अपोलो टेलीस्कोप माउंट कहे जाने वाला एक सौर [[वेधशाला]] मॉड्यूल शामिल किया जो कि स्टेशन पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा संचालित हुआ था |<ref name=Dwivedi2006/> स्काईलैब ने पहली बार सौर संक्रमण क्षेत्र का तथा सौर कोरोना से निकली पराबैंगनी उत्सर्जन का समाधित निरीक्षण किया |<ref name=Dwivedi2006/> खोजों ने [[कोरोनल मास एजेक्सन]] के प्रथम प्रेक्षण शामिल किए, जो फिर "कोरोनल ट्रांजीएंस्ट" और फिर [[कोरोनल होल्स]] कहलाये, अब घनिष्ठ रूप से [[सौर वायु]] के साथ जुड़े होने के लिए जाना जाता है |<ref name=Burlaga2001>{{Cite journal|last=Burlaga|first=L.F.|title=Magnetic Fields and plasmas in the inner heliosphere: Helios results|year=2001|journal=Planetary and Space Science|volume=49|issue=14–15|pages=1619–27|doi=10.1016/S0032-0633(01)00098-8|ref=harv|bibcode=2001P&SS...49.1619B}}</ref>
1980 का [[सोलर मैक्सीमम मिशन]] नासा द्वारा शुरू किया गया था | यह अंतरिक्ष यान उच्च सौर गतिविधि और सौर चमक के समय के दरम्यान [[गामा किरण | गामा किरणों]], [[ऍक्स किरण | एक्स किरणों]] और [[सौर ज्वाला]]ओं से निकली [[पराबैंगनी]] विकिरण के निरीक्षण के लिए रचा गया था | प्रक्षेपण के बस कुछ ही महीने बाद, हालांकि, किसी इलेक्ट्रॉनिक्स खराबी की वजह से यान जस की तस हालत में चलता रहा और उसने अगले तीन साल इसी निष्क्रिय अवस्था में बिताए | 1984 में [[स्पेस शटल चैलेंजर]] मिशन STS-41C ने उपग्रह को सुधार दिया और कक्षा में फिर से छोड़ने से पहले इसकी इलेक्ट्रॉनिक्स की मरम्मत की |
{{cite web |last=Burkepile |first=C. |first2=J.
|title=Solar Maximum Mission Overview
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| archiveurl = http://web.archive.org/web/20060405183758/http://web.hao.ucar.edu/public/research/svosa/smm/smm_mission.html| archivedate = April 5, 2006}}</ref>
1991 में प्रक्षेपित, जापान के [[योनकोह]] (सौर पुंज) उपग्रह ने एक्स-रे तरंग दैर्ध्य पर सौर ज्वालाओ का अवलोकन किया | मिशन डेटा ने वैज्ञानिकों को अनेकों भिन्न प्रकार की लपटों की पहचान करने की अनुमति दी, साथ ही दिखाया कि चरम गतिविधि वाले क्षेत्रों से दूर स्थित कोरोना और अधिक गतिशील व सक्रिय थी जैसा कि पूर्व में
{{cite press
|title=Result of Re-entry of the Solar X-ray Observatory "Yohkoh" (SOLAR-A) to the Earth's Atmosphere
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}}</ref>
आज दिन तक का सबसे महत्वपूर्ण सौर मिशन [[सौर एवं सौरचक्रीय वेधशाला (सोहो) | सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ओब्सर्वेटरी]] रहा है | 2 दिसंबर1995 को शुरू हुआ यह मिशन [[यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी]] और [[नासा]] द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया था |<ref name=Dwivedi2006/> मूल रूप से यह दो-वर्षीय मिशन के लिए नियत हुआ था | मिशन की 2012 तक की विस्तारण मंजूरी अक्टूबर 2009 में हुई थी |<ref name=sohoext>{{cite web| date = October 7, 2009|url = http://sci.esa.int/science-e/www/object/index.cfm?fobjectid=45685|title = Mission extensions approved for science missions|work = ESA Science and Technology|accessdate = February 16, 2010}}</ref>
{{cite web
|title=Sungrazing Comets
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[[File:Magnificent_CME_Erupts_on_the_Sun_-_August_31.jpg|thumb|300px|left| अगस्त 2012 में उफनता एक सौर उदगार, नासा की सौर गतिविधि वेधशाला द्वारा लिया गया चित्र]]
इन सभी उपग्रहों ने सूर्य का प्रेक्षण क्रांतिवृत्त के तल से किया है, इसलिए उसके भूमध्यरेखीय क्षेत्रों मात्र के विस्तार में प्रेक्षण किए गए है |
{{cite web
|author=[[Jet Propulsion Laboratory|JPL]]/[[California Institute of Technology|CALTECH]]
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}}</ref>
वर्णमंडल की तात्विक बहुतायतता को [[खगोलीय स्पेक्ट्रमिकी | स्पेक्ट्रोस्कोपी]] अध्ययनों से अच्छी तरह जाना गया है, पर सूर्य के अंदरूनी ढांचे की समझ उतनी ही बुरी है | [[सौर वायु]] नमूना वापसी मिशन, [[जेनेसिस (अंतरिक्ष यान) | जेनेसिस]], खगोलविदों द्वारा सीधे सौर सामग्री की संरचना को मापने के लिए रचा गया था | जेनेसिस 2004 में पृथ्वी पर लौटा, पर पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश पर तैनात करते वक्त [[पैराशूट]] के विफल होने से यह अकस्मात् अवतरण से क्षतिग्रस्त हो गया था |
{{Cite journal
|last=Calaway |first=M.J.
पंक्ति 285:
|bibcode = 2009NIMPB.267.1101C }}</ref>
[[सोलर टेरेस्ट्रियल रिलेशंस ओब्सर्वेटरी]] (स्टीरियो) मिशन अक्टूबर 2006 में शुरू हुआ था |
[[भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन]] ने 2015-16 तक [[आदित्य (अंतरिक्ष यान) | आदित्य]] नामक एक 100 किलो के उपग्रह का प्रक्षेपण निर्धारित किया है | सोलर कोरोना की गतिशीलता के अध्ययन के लिए इसका मुख्य साधन एक [[कोरोनाग्राफ]]<sup>[[:en:Coronagraph|En]]</sup> होगा |<ref>{{cite web |url= http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2012-09-09/india/33712860_1_parameters-of-space-weather-three-year-mission-polar-satellite-launch-vehicle|title= Aditya 1 launch delayed to 2015-16|author= Srinivas Laxman & Rhik Kundu, TNN|date=2012-09-09|work= [[द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया ]]|publisher= [[Bennett, Coleman & Co. Ltd.]]}}</ref>
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