"स्कन्द पुराण": अवतरणों में अंतर
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{{ ज्ञानसन्दूक पुस्तक
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इसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञानके अनन्त उपदेश भरे हैं। इसमें धर्म, सदाचार, योग, ज्ञान तथा भक्तिके सुन्दर विवेचनके साथ अनेकों साधु-महात्माओं के सुन्दर चरित्र पिरोये गये हैं। आज भी इसमें वर्णित आचारों, पद्धतियोंके दर्शन हिन्दू समाज के घर-घरमें किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें भगवान शिवकी महिमा, सती-चरित्र, शिव-पार्वती-विवाह, कार्तिकेय-जन्म, तारकासुर-वध आदि का मनोहर वर्णन है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi/search_result.asp गीताप्रेस डाट काम]</ref>
== विस्तार ==
स्कन्द पुराण एक शतकोटि पुराण है। जिसमें शिव की महिमा का वर्णन किया है, उसके सारभूत अर्थ का [[वेद व्यास|व्यासजी]] ने स्कन्दपुराण में वर्णन किया है। स्कन्द पुराण इक्यासी हजार श्लोकों से युक्त है एवं सात खण्ड है। पहले खण्ड का नाम माहेश्वर खण्ड है, इसमें बारह हजार से कुछ कम श्लोक है। दूसरा वैष्णवखण्ड है, तीसरा ब्रह्मखण्ड है। चौथा काशीखण्ड एवं पांचवाँ अवन्तीखण्ड है फिर क्रमश: नागर खण्ड एवं प्रभास खण्ड है।<ref>[[स्कन्द पुराण]]-गीताप्रेस गोरखपुर</ref>
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