"हुसैन इब्न अली": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
||
पंक्ति 37:
{{Infobox person
| name
| image
| image_size
| caption
| birth_date
| honorific_suffix
[[:en:List of Imams|तृतीय]] [[:en:Imamah (Shia doctrine)|इमाम]] - [[:en:Sevener|सप्त]], [[:en:Twelver|इसना अशरी]], और [[:en:Zaydi|ज़ैदी]] [[शिया इस्लाम]]}}
| birth_place
| death_date
| death_place
| death_cause
| resting_place
| resting_place_coordinates = {{Coord|32|36|59|N|44|1|56.29|E|type:landmark|display=inline}}
| monuments
| residence
| ethnicity
| years_active
| known_for
| notable_works
| title
| term
| predecessor
| successor
| movement
| opponents
| religion
| spouse
| children
| parents
| relatives
| module
| website
| footnotes
| box_width
}}
'''इमाम हुसैन''' (''अल हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब'', यानि अबी तालिब के पोते और अली के बेटे अल हुसैन, [[626]] AH -[[680]]
इमाम हुसैन को इस्लाम में एक शहीद का दर्ज़ा प्राप्त है। शिया मान्यता के अनुसार वे [[यज़ीद प्रथम]] के कुकर्मी शासन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए सन् 680 AH में कुफ़ा के निकट [[कर्बला की लड़ाई]] में शहीद कर दिए गए थे। उनकी शहादत के दिन को आशूरा (दसवाँ दिन) कहते हैं और इस शहादत की याद में [[मुहर्रम]] (उस महीने का नाम) मनाते हैं।
पंक्ति 79:
== जीवन ==
हुसैन अलैहिस्स्लाम का जन्म ३/४ शाबान
[[मुहम्मद]] (स.अ.व्.) साहब को अपने नातियों से बहुत प्यार था पैगम्बर(स.) के इस प्रसिद्ध कथन का शिया व सुन्नी दोनो सम्प्रदायों के विद्वानो ने उल्लेख किया है। कि पैगम्बर(स.) ने कहा कि "हुसैन मुझसे हैऔर मैं हुसैन से हूँ। अल्लाह तू उससे प्रेम कर जो हुसैन से प्रेम करे।"
[[मुआविया]] ने अली अ० से खिलाफ़त के लिए लड़ाई लड़ी थी। [[अली]] के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र [[हसन]]अ० को खलीफ़ा बनना था। मुआविया को ये बात पसन्द नहीं थी। वो हसन अलैहिस्स्लाम से संघर्ष कर खिलाफ़त की गद्दी चाहता था। हसन अलैहिस्स्लाम ने इस शर्त पर कि वो मुआविया की अधीनता स्वीकार नहीं करेंगे, मुआविया को हुकुमत दे दी। लेकिन इतने पर भी मुआविया प्रसन्न नहीं रहा और अंततः उसने हसन अलैहिस्स्लाम को ज़हर पिलवाकर शहीद कर डाला।सन् पचास (50) हिजरी में उनकी शहादत के पश्चात दस वर्षों तक घटित होने वाली घटनाओं का अवलोकन करते हुए मुआविया का विरोध करते रहे।
हज़रत
# जब शासकीय यातनाओं से तंग आकर हज़रत
# एक दूसरे अवसर पर कहा कि ऐ अल्लाह तू जानता है कि हम ने जो कुछ किया वह शासकीय शत्रुत या सांसारिक मोहमाया के कारण नहीं किया। बल्कि हमारा उद्देश्य यह है कि तेरे धर्म की निशानियों को यथा स्थान पर पहुँचाए। तथा तेरी प्रजा के मध्य सुधार करें ताकि तेरी प्रजा अत्याचारियों से सुरक्षित रह कर तेरे धर्म के सुन्नत व वाजिब आदेशों का पालन कर सके।
# जब आप की भेंट हुर पुत्र यज़ीदे रिहायी की सेना से हुई तो, आपने कहा कि ऐ लोगो अगर तुम अल्लाह से डरते हो और हक़ को
# एक अन्य स्थान पर कहा कि हम अहलेबैत शासन के उन लोगों से अधिक अधिकारी हैं जो शासन कर रहे है।
इस्लाम में इस दिन (मुहर्रम मास की 10वीं तारीख़) को बहुत पवित्र माना जाता है और [[ईरान]], [[इराक़]], [[पाकिस्तान]], [[भारत]], [[बहरीन]], [[जमैका]] सहित कई देशों में इस दिन सरकारी छुट्टियाँ दी जाती हैं।
|