"अनंतपुर जिला": अवतरणों में अंतर

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श्री [[सत्‍य साईं बाबा]] का जन्‍मस्‍थान '''अनंतपुर''' [[आंध्र प्रदेश]] का सबसे पश्चिमी जिला है जो एक ओर इतिहास और आधुनिकता का संगम दिखाता है और दूसरी ओर तीर्थस्‍थान और किलों के दर्शन कराता है। राज्‍य का सबसे बड़ा जिला अनंतपुर 19130 वर्ग किमी.किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। उत्‍तर में यह कुर्लूल से, पूर्व में कुड्डापा और चित्‍तूर तथा दक्षिण और पश्चिम में कर्नाटक राज्‍य से घिरा है। यह पूरा जिला अपने रेशम व्‍यापार के आधुनिक रूप के लिए जाना जाता है। पर्यटन की बात करें तो लिपाक्षी मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है। अनंतपुर आंध्र प्रदेश कुड्डुपा पहाड़ियों के पूर्वी भाग में अवस्थित है। सन 1800 ई तक अनंतपुर ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रमुख केन्द्र था। अनंतपुर का सम्बन्ध थामस मुनरो से भी रहा है, जो यहाँ का प्रथम कलेक्टर था। अनंतपुर के समीप लेपाक्षी ग्राम अपने अद्भुत भित्ति चित्रोंयुक्त मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
 
 
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=== पेनुकोंडा किला ===
इस विशाल किले का हर पत्‍थर उस समय की शान को दर्शाता है। पेनुकोंडा अनंतपुर जिले का एक छोटा का नगर है। प्राचीन काल में यह विजयनगर राजाओं के दूसरी राजधानी के रूप में प्रयुक्‍त होता था। पहाड़ की चोटी पर बना यह किला नगर का खूबसूरत दृश्‍य प्रस्‍तुत करता है। अनंतपुर से 70 किमी.किलोमीटर दूर यह किला कुर्नूल-बंगलुरु रोड पर स्थित है। किले के अंदर शिलालेखों में राजा बुक्‍का प्रथम द्वारा अपने पुत्र वीरा वरिपुन्‍ना उदियार को शासनसत्‍ता सौंपने का जिक्र मिलता है। उनके शासनकाल में इस किले का निर्माण हुआ था। किले का वास्‍तु इस प्रकार का था कि कोई भी शत्रु यहां तक पहुंच नहीं पाता था। येरामंची द्वार से प्रवेश करने पर भगवान हनुमान की 11 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा दिखाई पड़ती है। 1575 में बना गगन महल शाही परिवार का समर रिजॉर्ट था। पेनुकोंडा किले के वास्‍तुशिल्‍प में हिदु और मुस्लिम शैली का संगम देखने को मिलता है।
 
=== पुट्टापर्थी ===
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=== तिम्‍मम्‍मा मर्रिमानु ===
कदिरी से 35 किमी। और अनंतपुर से 100 किमी.किलोमीटर दूर स्थित यह स्‍थान बरगद के पेड़ के लिए प्रसिद्ध है जिसे स्‍थानीय भाषा में तिम्‍मम्‍मा (क़रीब के गांव की स्त्री का नाम जिसे देवी भी माना जता है) मर्रि (बरगद) मानु (पेड) यानी "तिम्मम्मा मर्रि मानु" कहा जाता है। इसे दक्षिण भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा सृक्ष्‍ण माना जाता है। इस पेड़ की शाखाएं पांच एकड़ तक फैली हुई हैं। 1989 में इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया। मंदिर के नीचे तिम्‍माम्‍मा को समर्पित एक छोटा सा मंदिर हे। माना जाता है कि तिम्‍मम्‍मा का जन्‍म सेती बालिजी परिवार में हुआ था। अपने पति बाला वीरय्या की मृत्‍यु के बाद वे सती हो गई। माना जाजा है कि जिस स्‍थान पर उन्‍होंने आत्‍मदाह किया था, उसी स्‍थान पर यह बरगद का पेड़ स्थित है। लोगों का विश्‍वास है कि यदि कोई नि:संतान दंपत्ति यहां प्रार्थना करता है तो अगले ही साल तिम्‍मम्‍मा की कृपा से उनके घर संतान उत्‍पन्‍न हो जाती है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां जात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों भक्‍त यहां आकर तिम्‍मम्‍मा की पूजा करते हैं।
 
=== रायदुर्ग किला ===
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=== लक्ष्‍मी नरसिंह स्‍वामी मंदिर ===
हरियाली के बीच स्थित यह मंदिर अनंतपुर से 36 किमी.किलोमीटर दूर है। दंतकथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भगवान लक्ष्‍मी नरसिंह स्‍वामी के पदचिह्मों पर किया गया है। विवाह समारोहों के लिए यह मंदिर पसंदीदा जगह है। अप्रैल के महीने में यहां वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। मंदिर परिसर में ही आदि लक्ष्‍मी देवी मंदिर और चेंचु लक्ष्‍मी देवी मंदिर भी हैं।
 
=== गूटी किला ===
गूटी अनंतपुर से 52 किमी.किलोमीटर दूर है। यह किला आंध्र प्रदेश के सबसे पुराने पहाड़ी किलों में से एक है। किले में मिले प्रारंभिक शिलालेख कन्‍नड़ और संस्‍कृत भाषा में हैं। किले का निर्माण सातवीं शताब्‍दी के आसपास हुआ था। मुरारी राव के नेतृत्‍व में मराठों ने इस पर अधिकार किया। गूटी कै‍ फियत के अनुसार मीर जुमला ने इस पर शासन किया। उसके बाद यह कुतुब शाही प्रमुख के अधिकार में आ गया। कालांतर में हैदर अली और ब्रिटिशों ने इस पर राज किया। गूटी किला गूटी के मैदानों से 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। किले के अंदर कुल 15 किले और 15 मुख्‍य द्वार हैं। मंदिर में अनेक कुएं भी हैं जिनमें से एक के बारे में कहा जाता है कि इसकी धारा पहाड़ी के नीचे से जुड़ी हुई है।
 
== आवागमन ==
;वायु मार्ग
बंगलुरु (200किमी.200किलोमीटर) और पुट्टापुर्थी (70) हवाईअड्डे से अनंतपुर पहुंचा जा सकता है। बंगलुरु हवाई अड्डा देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है जबकि पुट्टापुर्थी सीमित शहरों से जुड़ा है।
;रेल मार्ग
अनंतपुर से हैदराबाद, बंगलुरु, मुंबई, नई दिल्‍ली, अहमदाबाद, जयपुर, भुवनेश्‍वर, पुणे, विशाखापटनम और अन्‍य प्रमुख शहरों तक रेलों का जाल बिछा हुआ है।