कुल्लू से 1४ किमी.किलोमीटर दूर पहाडी पर बना यह मंदिर यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है। मंदिर तक पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई चढ़नी होती है। यहां का मुख्य आकर्षण 100 मी. लंबी ध्वज़(छड़ी) है। इसे देखकर ऐसा ल्रगता है मानो यह सूरज को भेद रही हो। इस ध्वज़ (छड़ी) के बारे में कहा जाता है बिजली कड़कने पर इसमें जो तरंगे उठती है वे भगवान का आशीर्वाद होता है। इस ध्वज पर लग़भग हर साल बिजली गिरती है। कभी-कभी मंदिर के अन्दर शिवलिन्ग पर भी बिजली गिरती है जिस से शिवलिन्ग खऩ्डित हो जाता है। पुजारी खऩ्डित शिवलिन्ग को मक्खन से जोडता है जिस से शिवलिन्ग फिर सामान्य हो जाता है। इस मंदिर से कुल्लू और पार्वती घाटी का खुबसूरत नजारा देखा जा सकता है।
=== कुल्लु दशहरा ===
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=== मणीकरन ===
यह स्थान कुल्लु से 43 किमी.किलोमीटर दूर है। यह जगह गर्म पानी के झरने के लिए प्रसिद्ध है। हजारों लोग इस पवित्र गर्म पानी में डुबकी लगाते हैं। यहां का पानी इतना गर्म होता है कि इसमें दाल और सब्जी पकायी जा सकती हैं। यह हिंदुओं और सिक्खों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां गुरुद्वारे के साथ रामचंद्र और शिवजी का प्राचीन मंदिर भी है।
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;वायु मार्ग:
नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर कुल्लु से 10 किमी.किलोमीटर दूर है। यहां के लिए दिल्ली से नियमित उड़ानें हैं। भुंतर से कुल्लु घाटी के लिए बस और टैक्सियां मिल जाती हैं।
;रेल मार्ग:
निकटतम रेलहेड कालका, चंडीगढ़ और पठानकोट हैं जहां से कुल्लु सड़क के रास्ते पहुंचा जा सकता है।