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==भारतीय व्यंजन==
'''भारतीय व्यंजन''' ऐसी कईं विविध क्षेत्रीय एव्ं परंपरागत व्यंजनों को घेरता है जो [[भारत]] देश को अनन्य है। मिट्टी के प्रकार,मौसम,[[संस्कृति]],जातीय समूह और कब्जे में विविधता के कारण ये सारे व्यंजन एक दूस्रे से काफी भिन्न हैं और ऐसे मसालों,जडी बूटियों,सब्ज़ियों और फलों का प्रयोग करते हैं जो आसानी से स्थानीय स्थल पर उपलब्ध हो। भारतीय पकवान पर धार्मिक और संस्कृतिक पसंदों और परंपराओं का भी भारी प्रभाव पडा है।भारतीय व्यंजन की उद्विकासी वर्षों से होती आ रही है और आज भी दूसरे समाजों के साथ हो रहे सांस्कृतिक परस्पर क्रिया से यह विकास कर रही है।विदेशी आक्रमणों,व्यापारी संबंधों,और उपनिवेशवाद जैसी ऐतिहासिक घटनाओं का भी भारत में अनेक भोजनों के समावेश में महत्व्पूर्ण योगदान है।
 
'''भारतीय व्यंजन''' ऐसी कईं विविध क्षेत्रीय एव्ं परंपरागत व्यंजनों को घेरता है जो भारत देश को अनन्य है। मिट्टी के प्रकार,मौसम,संस्कृति,जातीय समूह और कब्जे में विविधता के कारण ये सारे व्यंजन एक दूस्रे से काफी भिन्न हैं और ऐसे मसालों,जडी बूटियों,सब्ज़ियों और फलों का प्रयोग करते हैं जो आसानी से स्थानीय स्थल पर उपलब्ध हो। भारतीय पकवान पर धार्मिक और संस्कृतिक पसंदों और परंपराओं का भी भारी प्रभाव पडा है।भारतीय व्यंजन की उद्विकासी वर्षों से होती आ रही है और आज भी दूसरे समाजों के साथ हो रहे सांस्कृतिक परस्पर क्रिया से यह विकास कर रही है।विदेशी आक्रमणों,व्यापारी संबंधों,और उपनिवेशवाद जैसी ऐतिहासिक घटनाओं का भी भारत में अनेक भोजनों के समावेश में महत्व्पूर्ण योगदान है।
भारतीय भोजन विश्व के दूसरे व्यंजनों से न की सिर्फ स्वाद में पर खाना पकाने की विधी में भी अलग है।इस में अनेक संस्कृतियों और युगों का उत्तम मिश्रण है।यह अपनी चटपटाहट के लिये प्रसिधि से जाने जाते हैं।
 
==उत्तर भारतीय व्यंजन==
 
उत्तर भारत के वासी ज्यादातर रोटी और उसके समान इंडियन ब्रेड्स पसंद करते हैं। चावल का सेवन यहाँ के राज्यों में कम होता है।तंदूरी रोटी,नान,कुल्चा और पराठे काफी मशहूर हैं और चावल में अधिकतर यहाँ अनेक प्रकार के बिरयानी और पुलाव बनते हैं।उत्तर भारत में आने वाले रज्य जम्मू कश्मीर,[[हिमाचल प्रदेश]],[[पंजाब]],[[उत्तरांचल]],[[उत्तर प्रदेश]],[[हर्याणा]],[[बिहार]],[[झारखंड]],छत्तिसगड और [[मध्य प्रदेश]] हैं। व्यंजन का प्रकार यदि देखा जाए तो उत्तर भारतीय पकवान आमतौर पर गाढे,थोडे मसालेदार और मलाईदार रसे में बनते हैं।रोज़ के खाने में भी मेवा और नट्स का प्रयोग काफी साधारण है।दुग्ध उत्पाद स्वादयुक्त एवं मिठाई की तैयारी में बहुत महत्व रखते हैं।
इन व्यंजनों की तैयारी में आमतौर पर इस्तमाल किये गये तेल [[वनस्पति]] तेल जैसे सूरजमुखी और कनोला हैं।धनिया,जीरा,सूखी लाल मिर्च,हल्दी,लाल मिर्च पाउडर,इलायची,दालचीनी,लौंग,गरम मसाला,सौंफ,आदि इन व्यंजनों की महत्वपूर्ण मसाले और सामग्रियाँ हैं।
प्रसिद्ध व्यंजन: मटर पनीर,बिरयानी,पुलाव,दाल मखनी,दही गोश्ट,बटर चिकन,समोसा,फिश अमृतसरी,चिकन टिक्का,चाट,मोतीचूर लडू,आदि
 
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==दक्षिण भारतीय व्यंजन==
 
[[File:Dosa and ghee.jpg|Dosa and ghee]]
 
दक्षिण भारत में आने वाले राज्य हैं तमिल नाडु,केरला,कर्नाटका और आन्ध्र प्रदेश।विपुल वर्षा के कारण यहाँ फल,सब्ज़ी और चावल का भी रसद अधिक है।आंध्र प्रदेश में बने व्यंजनों की खासियत यह है कि इनको बनाने में तीक्षण पाक-प्रणाली का उपयोग किया जाता है।हालाँकि,यहाँ पर आमतौर पर शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है,परंतु समुद्री किनारे पर मात्रा में विभिन्न समुद्री भोजन भी पकाया जाता है।तमिलनाडु का चेट्टिनाड भोजन आंध्रा की तीक्ष्णना से ही कैइं कदम आगे है।हिंदुस्तान के सभी प्रदेशों की तुलना में मिर्ची का प्रयोग सबसे अधिक होता है।यहाँ पर भी निरामिष पदार्थ की शैली व्याप्त है।केरला की भोजन विधी मलबार प्रणाली से बनाई जाती है।यहाँ पर भी सागर संपदा की भरमार के कारण इन व्यंजनों की मानो नुमाय्श ही लग जाती है।हैगराबाद निज़ामों की कर्मभूमि रही है।अतः मीठे खट्टे से लेकर मसालेदार खाने में शाही स्वाद की भरमार होती है।हैदराबादी खाना सूखे मेवे,काजू,किशमिश,बादाम तथा लज़ीज़ एवं महंगे केसर से समृद्ध होता है।