"बायोगैस": अवतरणों में अंतर

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===बायोगैस स्लरी को सुखाकर उसका संग्रहण करना===
यदि गोबर गैस संयंत्र घर के पास व खेत से दूर है तब पतली स्लरी को संग्रहण करने के लिये बहुत जगह लगती है व पतली स्लरी का स्थानान्तरण भी कठिन होता है ऐसी अवस्था में स्लरी को सूखाना आवश्यक है। इसके लिये ग्रामोपयोगी फिल्ट्रेशन टैंक की पद्धति विकसित की गई है। इसमें बायोगैस के निकास कक्ष से जोड़कर 2 घनमीटर के संयन्त्र के लिये 1.65 मीटर × 0.6 मीटर × 0.5 मीटर के दो सीमेन्ट के टैंक बनाये जाते हैं इसकी दूसरी तरफ छना हुआ पानी एकत्र करने हेतु एक पक्का गड्ढ़ा बनाया जाता है। फिल्ट्रेशन टैंक में नीचे 15 से.मी. मोटाई का काड़ी कचरा, सूखा कचरा, हरा कचरा, इत्यादि डाला जाता है। इस पर निकास कक्ष से जब द्रव रूप की स्लरी गिरती है तब स्लरी का पानी कचरे के थर से छन कर नीचे गड्ढ़े में एकत्र हो जाता है। इस तरह जितना पानी बायोगैस संयंत्र में गोबर की भराई के समय डाला जाता है उसका 2/3 हिस्सा गड्ढ़े में पुनः एकत्र हो जाता है इसे गोबर के साथ मिलाकर पुनः संयंत्र में डालने से गैस उत्पादन बढ़ जाता है। इसके अलावा इसमें सभी पोषक तत्व घुलनशील अवस्था में होते है अतः पौधों पर छिड़काव करने से पौधों का विकास अच्छा होता है, एवं फल में वृद्धि होती है। करीब 15-20 दिनों में पहला टैंक भर जाता है तब इस टैंक को ढक कर स्लरी का निकास दूसरे टैंक में खोल दिया जाता है, इसका भंडारण अलग से गड्ढ़े में किया जा सकता है अथवा इसको बैलगाड़ी में भरकर खेत तक पहुँचाना आसान होता है।
 
फिल्ट्रेशन टैंक की मदद से कम जगह में अधिक बायोगैस की स्लरी का संग्रहण किया जा सकता है व फिल्टर्ड पानी के बाहर निकलने व उसका संयन्त्र में पुनः उपयोग करने से पानी की भी बचत होती है।