"अल्पना मिश्र": अवतरणों में अंतर

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हिन्दी कथा साहित्य में अल्पना मिश्र जी प्रमुख हस्ताक्षर के रूप में हैं। उनके कहानी संग्रह : 'भीतर का वक्त', 'छावनी में बेघर','कब्र भी कैद औ' जंजीरे साथ ही उपन्यास :'अन्हियारे तलछट में चमका' पाठकों के बीच में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुके हैं। वह हिंदी की महान लेखकों में से एक है और उन्होंने हिन्दी के कला क्षत्र को और खूबसूरत बनाने में अपना अच्छा योगदान दिया हैं।
आधुनिक हिन्दी काल की जानी मानी लेखक अल्पना मिश्र जी पंडित हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के परिवार से आती हैं। उन्होंने अपने लेखन की शुरुआती प्रेरणा द्विवेदी जी से ही ली और कई पुरस्कारों से भी सम्मानित की गई। पति कर्नल अमिताभ का सेना में होने के बावजूद भी उन्होंने हमेशा उनका साथ दिया था। इस तरह पति, बच्चों और माता पिता, सब के साथ मिल जुल कर वह अपनी गाड़ी ठीक से चलाने में कामयाब हुई।
 
==पृष्ठभूमि==
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अल्पना मिश्र जी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जहां विद्वता, और किताबें चारों तरफ थी। वह अधिक से अधिक पढ़ने क सहज किया करती थी। और फिर वह जिस बसती से थी वहां से कई
प्रसिद्ध कौशल निकले हैं। छोटी उम्र में अन्याय का विरोध करने के लिए जब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी तो उनके परिवार वाले अतिरिक्त रूप से खुश हो गए थे और उन्हें आगे लिखने का प्रोत्साहन भी दिया था।
पर लेखिका के लिये कठिनाई यह हुई की उनकी इस गंभीर कविता को लोग मनोरंजन के रूप में देख रहे थे। फिर इसी से चालू हुआ उनका समाज केकी कुरूपोंकुरूप स्थिति का खंड्नखंडन करने वाली कहानियां लिखने का सिलसिला।
लेखिका को लगता था की जो लोग खुद नहीं बोल सकते हैं, उनके बदले में वह अपने पात्रों के माध्यम से जन जागरण बढ़ा सकती हैं ।
- फिर पति के फौज में होने के बावजूद भी लेखिका खुद नौकरी कर अपना परिवार चलाती थी और फौज की कई सुविधाओं को छोड़ा भी था।
==शिक्षा==
अल्पना मिश्र जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालए में एम- ए और पीएचडी की डिग्री पूरी की।
==मुख्य क्रितीयाँकृतियाँ==
कहानी सग्रहसंग्रह: भीतर का वक्त , छावनी में बेघर , कब्र भी कैद औ।
उपन्यसउपन्यास :अन्हियारे,तलछट में चमका।
संपादन : सहोदर( संबंधों की श्रृंखला : कहानियाँकहानियां)
 
==उपलब्धियाँ==
शैलेश मटियानी स्मृति सम्मान (२००६)
परिवेश सम्मान (२००६)
रचनाकार सम्मान (भारतीय भाषा परिषद कोलकाता २००८)
शक्ति सम्मान (२००८)
हिन्दी कथा साहित्य में अल्पना मिश्र जी प्रमुख हस्ताक्षर के रूप में हैं। उनके कहानी संग्रह : 'भीतर का वक्त', 'छावनी में बेघर','कब्र भी कैद औ' जंजीरे साथ ही उपन्यास :'अन्हियारे तलछट में चमका' पाठकों के बीच में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुके हैं। वह हिंदी की महान लेखकों में से एक है और उन्होंने हिन्दी के कला क्षत्र को और खूबसूरत बनाने में अपना अच्छा योगदान दिया हैं।
आधूनिक हिन्दी काल की जानी मानी लेखक अल्पना मिश्र जी पंडित हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के परिवार से आती हैं। उन्होंने अपने लेखन की शुरुआती प्रेरणा द्विवेदी जी से ही ली और कई पुरस्कारों से भी सम्मानित की गई। पति कर्नल अमिताभ का सेना में होने के बावजूद भी उन्होंने हमेशा उनका साथ दिया था। इस तरह पति, बच्चों और माता पिता, सब के साथ मिल जुल कर वह अपनी गाड़ी ठीक से चलाने में कामयाब हुई।
 
==पृष्ठभूमि==
अल्पना मिश्र जी का जन्म १८ मई १९६९ को हुआ था। वह आजमगढ, उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाव में पैदा हुई थी। अल्पना मिश्र जी को अपने लेख के लिए शैलेश मटियानी स्म्रृति सम्मान (२००६) , परिवेश सम्मान (२००६),रचनाकार सम्मान (भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता २००८),शक्ति सम्मान (२००८)आदि पुरसकारों से सम्मानित किया चुका है। फिलहाल अल्पना मिश्र दिल्ली विश्वविद्यालए के हिन्दी विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं।
परिवार और नौकरी की ज़िम्मेदारियों से बेहद घिरे रहने के बावजूद भी लेखिका हर रात उपन्यास लिख-लिख कर रात बिताती थी।
 
==परिवार==
अल्पना मिश्र जी का जन्म एसे परिवार में हुआ था जहां विद्वता, ग्यान और किताबें चारों तरफ थी। वह अधिक से अधिक पढने क सहज किया करती थी। और फिर वह जिस बसती से थी वहां से कई
प्रसिद्ध प्रतिभाए निकली हैं। छोटी उम्र में अन्यायें का विरोध करने के लिए जब उन्होनें अपनी पहली कविता लिखी तो उनके परिवार वाले अतिरिक्त रूप से खुश हो गए थे और उन्हे आगे लिखने का प्रोत्साहन भी दिया था।
पर लेखिका के लिये कठिनाई यह हुई की उनकी इस गंभीर कविता को लोग मनोर्ंजन के रूप में देख रहे थे। फिर इसी से चालू हुआ उनका समाज के कूरूपो का खंड्न करने वाली कहानियां लिखने का सिलसिला।
लेखिका को लगता था की जो लोग खुद नहीं बोल सकते हैं, उनके बदले में वह अपने पात्रों के ज़रीये जन जाग्रना बढा सकती हैं।
- फिर पति के फौज में होने के बावजूद भी लेखिका खुद नौकरी कर अपना परिवार चलाती थी और फौज की कई सुविधाओं को छोड़ा भी था।
==शिक्षा==
अल्पना मिश्र जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालए में एम-ए और पीएचडी की डिग्री पूरी की।
==मुख्य क्रितीयाँ==
कहानी सग्रह: भीतर का वक्त , छावनी में बेघर , कब्र भी कैद औ।
उपन्यस :अन्हियारे,तलछट में चमका।
संपादन : सहोदर( संबंधों की श्रृंखला : कहानियाँ)
 
==उपलब्धियाँ==