"सर्पगन्धा": अवतरणों में अंतर
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चूंकि सर्पगंधा एक महत्वपूर्ण औषधीय वनस्पति है अतः इसका संरक्षण आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यथास्थल संरक्षण (In situ conservation) तथा बहिः स्थल संरक्षण (Ex situ conservation) विधियों को अपनाकर देश में संकटग्रस्त सर्पगंधा को संरक्षण प्रदान किया जा सकता हैं। यथास्थल संरक्षण में सर्पगंधा के प्राकृतिक आवास का संरक्षण अति आवश्यक है जिससे इसके प्राकृतिक आवास को सिकुड़ने से रोका जा सके।
सर्पगंधा के प्राकृतिक आवासों को जीन
इस बहुमूल्य वनस्पति को विस्तारित करने के लिए जैव-प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत ऊतक संवर्द्धन (tissue culture) जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग सर्पगंधा के संरक्षण हेतु समय की आवश्यकता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में सर्पगंधा की खेती हेतु किसानों को प्रेरित तथा प्रोत्साहित करने की भी आवश्यकता है। सर्पगंधा की खेती से न सिर्फ इसके संरक्षण में सहायता मिलेगी अपितु किसान इससे आर्थिक लाभ भी कमा सकेंगे।
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