"गैलापागोस द्वीपसमूह": अवतरणों में अंतर

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गैरस्थानीय सूअर, बकरी, कुत्ते, चूहे, बिल्ली, भेड़, घोड़े, गधे, गाय, मुर्गी, चींटियां, तिलचट्टे और कुछ परजीवी आज इन द्वीपों पर निवास करते हैं। कुत्ते और बिल्लियाँ यहाँ के पक्षियों, भूमि और समुद्री कछुओं पर हमला कर उनके घोंसले उजाड़ देते हैं। वे कभी कभी छोटे गैलापागोस कछुओं और गोहों को मार डालते हैं। सूअर तो और भी हानिकारक हैं, यह बड़े क्षेत्रों में फैले है और कछुओं और गोह के घोंसले को नष्ट करने के अलावा उनका स्थानीय आहार भी चट कर जाते हैं। सूअर स्थानीय वनस्पति को उनकी जड़ों और वहाँ पाये जाने वाले कीटों को खाने के लिए खोद कर नष्ट कर देते हैं। सूअरों की समस्या सेरो अज़ूल ज्वालामुखी और ईसाबेला में अत्यंत विकट है। सैंटियागो से तो सूअरों ने स्थलीय गोहों का पूरी तरह से सफाया ही कर दिया है जो डार्विन की यात्रा के दौरान इस द्वीप पर प्रचुर मात्रा में विचरण करते थे। काले चूहे (Rattus rattus) छोटे गैलापागोस कछुओं पर उनके घोंसले से निकलने पर आक्रमण करते थे, जिसके कारण पिंज़ोन द्वीप पर पिछले 50 से अधिक वर्षों से इन कछुओं ने प्रजनन करना बंद कर दिया है और द्वीप पर केवल वयस्क कछुए ही पाए जाते हैं। इसके अलावा जहां काले चूहे पाये जाते है, वहाँ से स्थानीय चूहे गायब हो गये हैं। गाय और गधे सारी उपलब्ध वनस्पति खा जाते हैं और द्वीपों पर दुर्लभ पीने के पानी के लिए स्थानीय प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। 1959 में मछुआरे पिंटा द्वीप पर एक नर और दो मादा बकरियों को लाये थे और राष्ट्रीय उद्यान सेवा के एक अनुमान के अनुसार जिनकी संख्या 1973 में बढ़ कर 30,000 हो गयी थी। 1967 में मार्शेना और 1971 में राबिदा पर भी बकरियाँ लाई गयी थीं। हालाँकि, हाल ही में चले एक बकरी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ईसाबेला से बकरियों की अधिकतर आबादी का सफाया कर दिया गया है। बसे हुए द्वीपों पर तेजी से बढ़ रहा पॉल्ट्री उद्योग, स्थानीय संरक्षणवादियों के लिए चिंता का विषय है, उन्हें डर है कि इन पॉल्ट्री पक्षियों की बीमारियाँ स्थानीय और जंगली पक्षियों में फैल सकती हैं।
[[चित्र:Tanker Jessica aground in Galapagos.jpg|thumb|जनवरी २००१ में गैलापागोस में अटका हुआ तेल टैंकर ''जेसिका'']]
विकास की अन्य समस्याओं के अलावा अवैध रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियों से गैलापागोस समुद्री अभ्यारण्यअभयारण्य को खतरा है। अवैध रूप से मछली पकड़ने वालों की गतिविधियां समुद्री संरक्षित क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा पेश करती हैं, क्योकि यह हाँगुर (हैमरहैड और अन्य प्रजातियों) का शिकार को उसके पंखों के लिए और समुद्री खीरों को बेमौसम मे एकत्र करते हैं। विकास संबंधी गतिविधियां और बढ़ती मानव जनसंख्या स्थलीय और समुद्री दोनों प्रजातियों के लिए खतरा है। बढ़ते पर्यटन उद्योग और अवैध आव्रजन की वृद्धि ने भी द्वीपसमूह के वन्य जीवन को खतरे में डाल दिया है। तेल टैंकर जेसिका से बहे तेल ने फैल कर दुनिया का ध्यान इस खतरे की ओर खींचा है।
 
सन् 2007 में यूनेस्को ने गैलापागोस द्वीप समूह को खतरे में पड़ी विश्व धरोहर की सूची में डाल दिया है।