"हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत": अवतरणों में अंतर

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यह परम्पर है कि जो उत्कृष्ट कलाकार एक दर्जे कि उपलब्धि हासिल कि हो उन्हे मूल रूप से हिन्दु विद्वान कलकारो को (पंडित) ऍव मूस्लिम विद्वान कलकारो को (उस्ताद) के खिताब से नवाजा जात है।
 
हिन्दुस्तानी सगीत का एक और पहलू भी है जिस्मे सुफी जमने कि धर्मिक अलहदगी थी, जिस्मे उस्ताद कलकार गीत् कि रचनओ को ईश्वर को याद करने के लिये किय करते थे।थे।१२ वी सदी के दौर के अन्त मे हिन्दुस्तनी शास्रीय सागीत से ही दक्षिणी [[कर्नाटक संगीत]] विभजित हुआ।
 
== इन्हें भी देखें ==