"प्राचीन यूनानी भाषा": अवतरणों में अंतर

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== शब्द रूप ==
संस्कृत की ही तरह प्राचीन यूनानी भी बहिर्मुखी श्लिष्ट-योगात्मक भाषा थी। मतलब कि उसमें भी शब्दों के अन्त में प्रत्यय लगाकर संज्ञा और क्रिया के रूप और विभक्तियाँ बनायी जाती थीं। संस्कृत को छोड़करकुछ अन्य भाषाओं (जैसे अरबी, स्लोवेनी) के अलावा प्राचीन यूनानी हिही एक ऐसी भाषा है जिसमें संज्ञा और क्रिया में "द्विवचन" होता है।
 
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