"तापमापी": अवतरणों में अंतर
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(C2) एक स्थिरांक होता है जिसका मान प्लांक सिद्धांत द्वारा निश्चित है। यदि E1, E2 और T1 ज्ञात हों, तो T2 ज्ञात हो जाता है।
अदृश्य तंतु अत्तापमापियों (Disappearing Filament Pyrometer) में मानक बत्ती की विकिरणतीव्रता में इस प्रकार परिवर्तन करते हैं कि उसकी तीव्रता मापी जानेवाली विकीर्ण ऊर्जा की तीव्रता के बराबर हो जाए। उस समय [[बत्ती]] का तंतु अदृश्य हो जाता है।
एक अन्य प्रकार के प्रकाशीय उत्तापमापियों में मानक विकिरण की तीव्रता स्थायी रखी जाती है और अज्ञात ताप के पिंड के विकिरण के सहित उत्तापमापी में प्रवेश करती हैं। दानों को लंबवत् तलों में रेखाध्रुवित (plane polarised) कर दिया जाता है। ऐसा प्रबंध किया जाता है कि प्रत्येक विकिरण का प्रतिबिम्ब अर्धगोलीय तथा एक दूसरे से सटा हुआ बने। इनको एक निकल (nicol) प्रिज्म़ द्वारा देखा जाता है, जिसको इतना घुमाते है कि दोनों प्रतिबिंबों की प्रकाशतीव्रता एक सी पड़े। निकल के घूर्णनकोण से E1/E2 ज्ञात करके उपरोक्त सूत्र से ताप ज्ञात कर लेते हैं।
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