"ओंकारेश्वर मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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== कथा ==
राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा किनारे इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान माँग लिया। तभी से उक्त प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी। जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं।
जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता है। इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहाँ 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं।
 
== मान्यता ==
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== ओंकारेश्वर-दर्शन ==
[[चित्र:Omkartemple_ओंकारेश्वर_मन्दिर.jpg|अंगूठाकार|मध्यप्रदेश में ओंकार मांधाता मन्दिर का बाहरी दृश्य]]
 
नर्मदा किनारे जो बस्ती है उसे विष्णुपुरी कहते हैं। यहाँ नर्मदाजी पर पक्का घाट है। सेतु (अथवा नौका) द्वारा नर्मदाजीकोनर्मदाजी को पार करके यात्री मान्धाता द्वीपमें पहुँचता है। उस ओर भी पक्का घाट है। यहाँ घाट के पास नर्मदाजी में कोटितीर्थ या चक्रतीर्थ माना जाता है । यहीं स्नान करके यात्री सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर ऑकारेश्वर-मन्दिरमेंमन्दिर में दर्शन करने जाते हैं। मन्दिर तट पर ही कुछ ऊँचाई पर है।
श्रीओंकारेश्वरकी मूर्ति अनगढ़ है। यह मूर्ति मन्दिर के ठीक शिखरके नीचे न होकर एक ओर हटकर है। मूर्ति के चारों ओर जल भरा रहता है। मन्दिर का द्वार छोटा है। ऐसा लगता है जैसे गुफा में जा रहे हों। पास में ही पार्वतीजी की मूर्ति है। मन्दिरके हाते में पञ्चमुख गणेशजी की मूर्ति है। ओंकारेश्वर मन्दिर में सीढ़ियाँ चढ़कर दूसरी मंजिल पर जाने पर महाकालेश्वर लिङ्ग मूर्ति के दर्शन होते हैं। यह मूर्ति शिखर के नीचे है। तीसरी मंजिल पर वैद्यनाथेश्वर लिङ्गमूर्ति है। यह भी शिखर के नीचे है।
श्रीओंकारेश्वरजी की परिक्रमा में रामेश्वर-मन्दिर तथा गौरीसोमनाथ के दर्शन हो जाते हैं। ओंकारेश्वर मन्दिर के पास अविमुतश्वर, ज्वालेश्वर, केदारेश्वर आदि कई मन्दिर हैं।
 
[[चित्र:Panchmukhiganesh_पञ्चमुखी_गणेश.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर में प्रथम तल पर स्थित ओंकारेश्वर लिङ्ग के प्रवेशद्वार पर स्थित पञ्चमुखी गणेश का दृश्य]]
[[चित्र:Omkareshnandi_ओंकारेश्वर_नन्दी.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर में ओंकारेश्वर लिंग के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य]]
 
मन्दिर के अहाते में पञ्चमुख गणेशजी की मूर्ति है। प्रथम तल पर ओंकारेश्वर लिंग विराजमान हैं। श्रीओंकारेश्वर का लिङ्ग अनगढ़ है। यह लिङ्ग मन्दिर के ठीक शिखर के नीचे न होकर एक ओर हटकर है। लिङ्ग के चारों ओर जल भरा रहता है। मन्दिर का द्वार छोटा है। ऐसा लगता है जैसे गुफा में जा रहे हों। पास में ही पार्वतीजी की मूर्ति है।
[[चित्र:Mahakalesh1_महाकालेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग का दृश्य]]
[[चित्र:Mahakaleshnandia_महाकालेश्वर_नन्दी.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग के बाहर स्थित नन्दी का दृश्य]]
 
ओंकारेश्वर मन्दिर में सीढ़ियाँ चढ़कर दूसरी मंजिल पर जाने पर महाकालेश्वर लिङ्ग के दर्शन होते हैं। यह लिङ्ग शिखर के नीचे है।
[[चित्र:Siddhnath_सिद्धनाथ.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के तृतीय तल पर स्थित सिद्धनाथ लिङ्ग का दृश्य]]
 
तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ लिङ्ग है। यह भी शिखर के नीचे है।
[[चित्र:Gupteshwar1_गुप्तेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के चतुर्थ तल पर स्थित गुप्तेश्वर लिंग का दृश्य]]
[[चित्र:Gupteshwar2_गुप्तेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के चतुर्थ तल पर स्थित गुप्तेश्वर लिङ्ग की छत का दृश्य]]
 
चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर लिङ्ग है।
[[चित्र:Dhwajeshwar1_ध्वजेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के पाचवें तल पर स्थित शिवलिङ्ग का दृश्य।]]
[[चित्र:Dhwajeshwar2_ध्वजेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के पांचवें तल पर स्थित ध्वजेश्वर लिङ्ग की छत का दृश्य]]
 
पांचवीं मंजिल पर ध्वजेश्वर लिङ्ग है।
 
श्रीओंकारेश्वरजी की परिक्रमा में रामेश्वर-मन्दिर तथा गौरीसोमनाथ के दर्शन हो जाते हैं। ओंकारेश्वर मन्दिर के पास अविमुतश्वर, ज्वालेश्वर, केदारेश्वर आदि कई मन्दिर हैं।
[[चित्र:Kedareshwarnandi_केदारेश्वर_नन्दी.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के परिक्रमा क्षेत्र में स्थित केदारेश्वर मन्दिर के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य]]
 
== ओंकारेश्वर यात्राक्रम ==
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== अमलेश्वर ==
[[चित्र:Amleshwar_अमलेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर में अमलेश्वर मंदिर का बाहरी दृश्य]]
 
अमलेश्वर भी ज्योतिर्लिङ्ग है । अमलेश्वर मन्दिर अहल्याबाई का बनवाया हुआ है । गायकवाड़ राज्य की ओरसे नियत किये हुए बहुत से ब्राह्मण यहीं पार्थिव-पूजन करते रहते हैं । यात्री चाहे तो पहले अमलेश्वर का दर्शन करके तब नर्मदा पार होकर औकारेश्वर जाय; किंतु नियम पहले ओंकारेश्वर का दर्शन करके लौटते समय अमलेश्वर-दर्शन का ही है। अमलेश्वर-प्रदक्षिणा में वृद्धकालेश्वर, बाणेश्वर, मुक्तेश्वर, कर्दमेश्वर और तिलभाण्डेश्वरके मन्दिर मिलते हैं।