57,784
सम्पादन
Puranastudy (वार्ता | योगदान) छो (Puranastudy ने ओम्कारेश्वर मन्दिर पृष्ठ ओङ्कारेश्वर मन्दिर पर स्थानांतरित किया) |
आशीष भटनागर (वार्ता | योगदान) |
||
== ओंकारेश्वर-दर्शन ==
[[चित्र:Omkartemple_ओंकारेश्वर_मन्दिर.jpg|अंगूठाकार|मध्यप्रदेश में ओंकार मांधाता मन्दिर का बाहरी दृश्य]]▼
नर्मदा किनारे जो बस्ती है उसे विष्णुपुरी कहते हैं। यहाँ नर्मदाजी पर पक्का घाट है। सेतु (अथवा नौका) द्वारा नर्मदाजी को पार करके यात्री मान्धाता द्वीपमें पहुँचता है। उस ओर भी पक्का घाट है। यहाँ घाट के पास नर्मदाजी में कोटितीर्थ या चक्रतीर्थ माना जाता है । यहीं स्नान करके यात्री सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर ऑकारेश्वर-मन्दिर में दर्शन करने जाते हैं। मन्दिर तट पर ही कुछ ऊँचाई पर है।
[[चित्र:Panchmukhiganesh_पञ्चमुखी_गणेश.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर में प्रथम तल पर स्थित ओंकारेश्वर लिङ्ग के प्रवेशद्वार पर स्थित पञ्चमुखी गणेश का दृश्य]]▼
[[चित्र:Omkareshnandi_ओंकारेश्वर_नन्दी.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर में ओंकारेश्वर लिंग के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य]]▼
मन्दिर के अहाते में पञ्चमुख गणेशजी की मूर्ति है। प्रथम तल पर ओंकारेश्वर लिंग विराजमान हैं। श्रीओंकारेश्वर का लिङ्ग अनगढ़ है। यह लिङ्ग मन्दिर के ठीक शिखर के नीचे न होकर एक ओर हटकर है। लिङ्ग के चारों ओर जल भरा रहता है। मन्दिर का द्वार छोटा है। ऐसा लगता है जैसे गुफा में जा रहे हों। पास में ही पार्वतीजी की मूर्ति है। ओंकारेश्वर मन्दिर में सीढ़ियाँ चढ़कर दूसरी मंजिल पर जाने पर महाकालेश्वर लिङ्ग के दर्शन होते हैं। यह लिङ्ग शिखर के नीचे है। तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ लिङ्ग है। यह भी शिखर के नीचे है। चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर लिङ्ग है। पांचवीं मंजिल पर ध्वजेश्वर लिङ्ग है।
<gallery mode=packedwidths="100px" heights="100px" perrow="5">
[[चित्र:Mahakalesh1_महाकालेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग का दृश्य]]▼
▲
[[चित्र:Mahakaleshnandia_महाकालेश्वर_नन्दी.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिंग के बाहर स्थित नन्दी का दृश्य]]▼
▲
▲
▲
▲
</gallery>
▲[[चित्र:Dhwajeshwar2_ध्वजेश्वर.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के पांचवें तल पर स्थित ध्वजेश्वर लिङ्ग की छत का दृश्य]]
तीसरी, चौथी व पांचवीं मंजिलों पर स्थित लिङ्गों के ऊपर स्थित छतों पर अष्टभुजाकार आकृतियां बनी हैं जो एक दूसरे में गुंथी हुई हैं। द्वितीय तल पर स्थित महाकालेश्वर लिङ्ग के ऊपर छत समतल न होकर शंक्वाकार है और वहां अष्टभुजाकार आकृतियां भी नहीं हैं। प्रथम और द्वितीय तलों के शिवलिङ्गों के प्राङ्गणों में नन्दी की मूर्तियां स्थापित हैं। तृतीय तल के प्राङ्गण में नन्दी की मूर्ति नहीं है। यह प्राङ्गण केवल खुली छत के रूप में है। चतुर्थ एवं पंचम तलों के प्रांगण नहीं हैं। वह केवल ओंकारेश्वर मन्दिर के शिखर में ही समाहित हैं। प्रथम तल पर जो नन्दी की मूर्ति है, उसकी हनु के नीचे एक स्तम्भ दिखाई देता है। ऐसा स्तम्भ नन्दी की अन्य मूर्तियों में विरल ही पाया जाता है।
श्रीओंकारेश्वरजी की परिक्रमा में रामेश्वर-मन्दिर तथा गौरीसोमनाथ के दर्शन हो जाते हैं। ओंकारेश्वर मन्दिर के पास अविमुतश्वर, ज्वालेश्वर, केदारेश्वर आदि कई मन्दिर हैं।
▲[[चित्र:Kedareshwarnandi_केदारेश्वर_नन्दी.jpg|अंगूठाकार|ओंकारेश्वर मन्दिर के परिक्रमा क्षेत्र में स्थित केदारेश्वर मन्दिर के प्रांगण में स्थित नन्दी का दृश्य]]
== ओंकारेश्वर यात्राक्रम ==
|