"कला": अवतरणों में अंतर
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[[मैथिली शरण गुप्त]] के शब्दों में,
: '' अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही तो कला है'' -- (''साकेत'', पंचम सर्ग)
दूसरे शब्दों मे : मन के अंतःकरण की सुन्दर प्रस्तुति ही कला है।
== इतिहास ==
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