"षट्खण्डागम": अवतरणों में अंतर
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== उत्पत्ति ==
ऐसा कहा जाता कि षट्खण्डागम [[दिगम्बर साधु]] [[धरसेन|आचार्य धरसेन]] के द्वारा दिए गए आगम के मौखिक उपदेशों पर आधारित है। मान्यता अनुसार, शास्त्रों के घटते ज्ञान से चिंतित होकर उन्होंने दो साधुओं, [[आचार्य पुष्पदंत]] और [[भूतबलि|आचार्य भूतबलि]] को अपने आश्रयस्थल, गिरनार पर्वत, गुजरात में स्थित चंद्र गुफा, में बुलाया। आचार्य धरसेन ने वृहद मूल पवित्र जैन ज्ञान में से उन्होंने दोनो मुनियों को याद ज्ञान संप्रेषित किया। उन्होंने आगम के पाँचवें और बारहवें अंगों के कुछ भागों का भी ज्ञान दिया। यह सारा ज्ञान दोनों साधुओं द्वारा सूत्रों के रूप में लिपिबद्ध कर लिया गया। आचार्य पुष्पदंत ने शुरुवात के १७७ सूत्र लिखे और आचार्य भूतबलि ने बाकी सूत्र लिखे। कुल लगभग ६००० सूत्र लिखे गये।
== विषय वस्तु ==
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