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{{हिन्दू धर्म सूचना मंजूषा}}
'''वेद''' [[प्राचीन भारत]] के पवितत्रतम साहित्य हैं जो [[हिन्दू धर्म|हिन्दुओं]] के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। [[भारतीय संस्कृति]] में वेद सनातन वर्णाश्रमधर्म के मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं जिन्हेंजो ईश्वर की वाणी समझा जाता है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र [[मन्त्र]] आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े-सुने जाते हैं।
 
'वेद' [[शब्द]] संस्कृत [[भाषा]] के 'विद् ज्ञाने'[[धातु]] से करणार्थ में घञ् [[प्रत्यय]] लगने से ज्ञानार्थक वेद शब्द बना है, इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है, इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या'(ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं।
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वेदों को समझना प्राचीन काल में भारतीय और बाद में विश्व भर में एक विवाद का विषय रहा है। इसको पढ़ाने के लिए छः उपांगों की व्यवस्था थी। शिक्षा,कल्प,निरुक्त,व्याकरण,छन्द और ज्योतिषके अध्ययनके बाद ही प्राचीन कालमे वेदाध्ययन पूर्ण माना जाताथा | प्राचीन कालके [[ब्रह्मा]],[[वशिष्ठ]] ,[[शक्ति]],[[पराशर]], [[वेदव्यास]] ,[[जैमिनी]] [[याज्ञवल्क्य]][[कात्यायन]] इत्यादि ऋषियोंको वेदोंका अच्छाज्ञाता माना जाता है। मध्यकाल में रचित व्याख्याओं में [[सायण]]का रचा चतुर्वेदभाष्य जो "माधवीय वेदार्थदीपिका" बहुत मान्य है। यूरोप के विद्वानों का वेदों के बारे में मत [[हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार|हिन्द-आर्य जाति]] के इतिहास की जिज्ञासा से प्रेरित रही है। अठारहवीं सदी उपरांत यूरोपियनों के वेदों और उपनिषदों में रूचि आने के बाद भी इनके अर्थों पर विद्वानों में असहमति बनी रही है।
 
[[File:Book_of_Vedas.jpg|thumb|300px|right|वेद का हिंदी भाष्य]]
 
== वेदों का काल ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/वेद" से प्राप्त