"प्याज़े का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Ekkaroshan10 (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Reverted to revision 3340762 by Sanjeev bot (talk): Remove spam. (TW) |
||
पंक्ति 1:
[[ज़ाँ प्याज़े|पियाजे]] द्वारा प्रतिपादित '''संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त'''
व्यक्ति वातावरण के तत्वों का प्रत्यक्षीकरण करता है; अर्थात् पहचानता है, प्रतीकों की सहायता से उन्हें समझने की कोशिश करता है तथा संबंधित वस्तु/व्यक्ति के संदर्भ में अमूर्त चिन्तन करता है। उक्त सभी प्रक्रियाओं से मिलकर उसके भीतर एक ज्ञान भण्डार या संज्ञानात्मक संरचना उसके व्यवहार को निर्देशित करती हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कोई भी व्यक्ति वातावरण में उपस्थित किसी भी प्रकार के उद्दीपकों (स्टिमुलैंट्स) से प्रभावित होकर सीधे प्रतिक्रिया नहीं करता है, पहले वह उन उद्दीपकों को पहचानता है, ग्रहण करता है, उसकी व्याख्या करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि संज्ञात्माक संरचना वातावरण में उपस्थित उद्दीपकों और व्यवहार के बीच मध्यस्थता का कार्य करता हैं।
ज्याँ प्याजे ने व्यापक स्तर पर
== संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएँ ==
पंक्ति 38:
*[http://sol.du.ac.in/mod/book/view.php?id=1149&chapterid=702 संज्ञानात्मक विकास दृष्टिकोण] (दिल्ली विश्वविद्यालय)
*[http://www.mgahv.in/Pdf/Dist/gen/shiksha_002_16_03_16.Pdf पयाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त] (महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय)
*[http://
*[http://allgovtjobsindia.in/piagets-cognitive-development-theory-ctet-notes-in-hindi/ पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त]
*[http://www.tetsuccesskey.com/2014/09/piaget-theory-hindi.html पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त]
|