"वाचकन्वी गार्गी": अवतरणों में अंतर

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'''गार्गी'''- ब्रह्मलोक किसमें ओतप्रोत है?
 
तब याज्ञवल्क्य ने कहा- गार्गी! अब इससे आगे मत पूछो। इसके बाद महर्षि याज्ञवक्ल्यजी ने यथार्थ सुख वेदान्ततत्त्‍‌व समझाया, जिसे सुनकर गार्गी परम सन्तुष्ट हुई और सब ऋषियों से बोली-भगवन्! याज्ञवल्क्य यथार्थ में सच्चे ब्रह्मज्ञानी हैं। गौएँ ले जाने का जो उन्होंने साहस किया वह उचित ही था। गार्गी परम विदुषी थीं, वे आजन्म ब्रह्मचारिणी रहीं।
 
== सन्दर्भ ==
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{{भारत की प्राचीन आदशॅ नारियाँ}}
 
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