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'''पाली जिला''' [[भारत]] के [[राजस्थान]] प्रान्त का एक जिला है जिसकी पूर्वी सीमाएं [[अरावली पर्वत]] श्रृंखला से जुड़ी हैं। इसी सीमाएं उत्तर में [[नागौर]] और पश्चिम में [[जालौर]] से मिलती हैं। पाली शहर पालीवाल ब्राह्मणों का निवास स्थान था जब मुगलों ने कत्लेआम मचा दिया तो उन्हें यह शहर छोड़ कर जाना पड़ा। वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म भी यहीं पर अपने ननिहाल में हुआ था। यह नगर तीन बार उजड़ा और बसा। यहां के प्रसिद्ध जैन मंदिर भक्तों के साथ-साथ इतिहासवेत्ताओं को भी आकर्षित करते हैं। ये राजपूत वर्चस्व वाला जिला है <ref>http://www.theweekendleader.com/Causes/1289/ready-for-challenge.html</ref> यहाँ सभी सामान्य सीटो के 5 प्रधान राजपूत है और 85 सरपंच राजपूत है साथ ही एक मंत्री भी इसी समाज से है यहाँ मात्र 6% राजपूत प्रतिशत हैं<ref>http://www.centenarynews.com/article?id=932</ref>
== इतिहास ==
कुषाण काल के दौरन, 120 ईस्वी में राजा कनिष्क ने रोहत और जैतारण क्षेत्र, (आज के पाली जिले) के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की थी ।थी। सातवीं शताब्दी ए डी सदि के अंत तक वर्तमान राजस्थान राज्य के अन्य हिस्सों के साथ-साथ चालुक्य राजा हर्षवर्धन का शासन था।
 
10 वीं सदी से 15 वीं सदी तक की अवधि के दौरान, पाली की सीमाओं से सटे को मेवाड़, मारवाड़ और गोडवाङ बढ़ा दिया । नाडोल चौहान वंश की राजधानी थी। सभी राजपूत शासक विदेशी आक्रमणकारियों के विरोध मे थे, लेकिन व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे की भूमि और नेतृत्व के लिए लड़ाई लड़ते थे । गोडवाङ के  पाली क्षेत्र के विषय में तो मेवाड के शासक  महाराणा कुंभा भी रूचि रखते थे । लेकिन पाली शहर पर  ब्राह्मण शासकों का राज रहा, जो पड़ोसी राजपूत शासकों के संरक्षण में था, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बना रहा।