"धृतराष्ट्र": अवतरणों में अंतर

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== जन्म ==
अपने पुत्र विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद माता सत्यवती अपने सबसे पहले जन्में पुत्र, व्यास के पास गईं। अपनी माता की आज्ञा का पालन करते हुए, व्यास मुनि विचित्रवीर्य की दोनों पत्नियों के पास गएगए। औरउन्होंने अपनी यौगिक शक्तियों से उन्हें पुत्र उत्पन्न करनें का वरदान दिया। उन्होंनेने अपनी माता से कहा कि वे दोनों रानीयों को एक-एक कर उनके पास भेजें और उन्हे देखकर जो जिस भाव में रहेगा उसका पुत्र वैसा ही होगा। तब पहले बड़ी रानी अंबिका कक्ष में गईं लेकिनऔर सहवास करके गर्भवती हुई। संगम के समय व्यासजी के भयानक रूप को देखकर डर गई और भय के मारे अपनी आँखें बंद कर लीं। इसलिए उन्हें जो पुत्र उतपन्न हुआ वह जन्मान्ध था। वह जन्मान्ध पुत्र था धृतराष्ट्र। उनकी नेत्रहीनता के कारण हर्तिनापुर का महाराज उनके अनुज पांडु को नियुक्त किया गया। पांडु की मृत्यु के बाद वे हस्तिनापुर के महाराज बनें।
 
== सन्दर्भ ==
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