"अल्बर्ट बंडूरा": अवतरणों में अंतर

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एक प्रसिद्ध [[प्रयोग]] में बच्चों को पाँच मिनट की अवधि की एक फिल्म दिखाई। फिल्म मे एक बहे कमरे मे बहुत से खिलौने रखे थे और उनमें एक खिलौना एक बडा…सा गुड्डा (बोबो डॉल) था। अब कमरे मे एक बड़ा लड़का प्रवेश करता है और चारों और देखता है। लड़का सभी खिलौनों के प्रति क्रोध प्रदर्शित करता है और बडे खिलौने कै प्रति तो विशेष रूप से आक्रामक हौ उठता है। वह गुड्डे को मारता है, उसे फर्श पर फेंक देता है, पैर से ठोकर मारकर गिरा देता है और फिर उसी पर बैठ जाता है। इसके बाद का घटनाक्रम तीन अलग रूपों मे तीन फिल्मों मे तैयार किया गया। एक फिल्म मे बच्चों के एक समूह ने देखा कि आक्रामक व्यवहार करने वाले लड़कै (मॉडल) को पुरस्कृत किया गया और एक व्यक्ति ने उसके आक्रामक व्यवहार की प्रशंसा की। दूसरी फिल्म मे बच्चों क दूसरे समूह ने देखा कि उस लड़क को उसक आक्रामक व्यवहार क लिए दंडित किया गया। तीसरी फिल्म मे बच्चों क तीसरे समूह ने देखा कि लडके को न तो पुरस्कृत किया गया है और न ही दंडिता इस प्रक्रार बच्चों क तीन समूहों को तीन अलग-अलग फिल्में दिखाई गई। फिल्में देख ब्वेने क बाद सभी बच्चों को
एक अलग प्रायोगिक कक्ष मे बिठाकर उम्हें विभिन्न प्रक्रार के खिलौनों से खेलने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया गया। हन समूहों को छिपकर देखा गया और उनक व्यवहारों को नोट किया गया। उन लोगों ने पाया कि जिन बच्चों ने फिल्म मे खिलौने के प्रति किए जाने वाले आक्रामक व्यवहार को पुरस्कृत हाते हुए देखा था, वे खिलौनों के प्रति सबसे अधिक आक्रामक थे। सबसे कम आक्रामकता उन बच्चों ने दिखाईं जिन्होंने फिल्म में आक्रामक व्यवहार को दंडित हौते हुए देखा था। हस प्रयोग से यह स्पष्ट हाता है कि सभी बच्चों ने फिल्म मे दिखाए गए घटनाक्रम स आक्रामकता सीखा और मॉडल का अनुकरण भी किया। प्रेक्षण द्वारा अधिगम की प्रक्रिया मे प्रेक्षक मॉडल के व्यवहार का प्रेक्षण करके ज्ञान प्राप्त करता हैं परतुं वह किस प्रकार से आचरण करेगा यह इस पर निर्भर करता है कि मॉडल को पुरस्कृत किया गया या दंडित किया गया।
 
==सामाजिक अधिगम सिद्धांत==
 
व्यक्तित्व विकास की व्याख्या अल्वर्ट बैन्डूरा द्वारा प्रतिपादित ‘सामाजिक अधिगम सिद्धांत’ के आधार पर किया, गया है।परिवेशीय दशाएं व्यक्तित्व विकास को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करती है।इस सिद्धांत के प्रतिपादक बैन्डूरा एवं वाल्टर्स (1963) ने अपनी पुस्तक ‘ सोशल लंर्निग एन्ड पर्सनालिटी डेवेलपमेंट”’ में व्यक्तित्व विकास में पर्यावरणीय परिस्थिति के महत्व को प्रदर्शित किया है।डोलार्ड तथा मिलर (1941) के अनुसार, विकास मूलतः व्यक्ति एवं पर्यावरण की अन्तःक्रिया का परिणाम है।बैन्डूरा का मानना है कि व्यक्तित्व के विकास में सामाजिक, संज्ञानात्मक एवं प्रेक्षणात्मक कारक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।परिवेश हमारे व्यवहार का नियमन करता है।इसमें प्रेरकों, अंतनोर्दों या किसी के व्यक्तिगत जीवन में अंतद्वर्न्दों के स्थान पर वर्तमान परिस्थिति में लोगों के क्रियाकलापों पर बल दिया गया है (बैण्डूरा, 1973) |
व्यक्तित्व संरचना के विकास की व्याख्या, प्रमुख मानवतावादी मनोवैज्ञानिक कार्ल रोजर्स (190२ -1987) ने ‘स्व सिद्धांत’ के आधार पर प्रस्तुत किया।रोजर्स का मानना है कि प्राणी के सभी प्रकार के अनुभवों का केंद्र उसका शरीर होता है।अर्थात् मानव के साथ जो कुछ घटित होता है उसके लिए वह बहुत कुछ स्वयं जिम्मेदार है।रोजर्स ने व्यक्तित्व के विकास में ‘स्व’ तथा व्यक्ति की अनुभूतियों की संगति को महत्वपूर्ण बताया है।जब ‘स्व’ तथा अनुभूतियों के बीच अंतर उत्पन्न हो जाता है तो व्यक्ति में चिता उत्पन्न हो जाती है जिससे वह कुसमायोजित हो जाता है।रोजर्स का विश्वास था कि यदि व्यक्ति का ‘स्व’ उस व्यक्ति के वास्तविक अनुभवों के अनुरूप होता है तब व्यक्ति का समायोजन अच्छा होता है।इस प्रकार व्यक्तित्व के विकास में स्व की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है
 
==प्रसिद्ध कृतियां==