"युधिष्ठिर मीमांसक": अवतरणों में अंतर

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* '''जैमिनीय मीमांसाभाष्यम्''' - मीमांसा दर्शन पर सुप्रसिद्ध [[शाबर भाष्य]] का हिन्दी अनुवाद तथा उस पर ‘आर्षमतविमर्शिनी’ नामक हिन्दी टीका लिखकर मीमांसकजी ने एक बड़े कार्य को पूरा किया है। अब तक यह भाष्य पांच खण्डों खण्डों में प्रकाशित हुआ है तथा प्रथम खण्ड में प्रथम अध्याय, द्वितीय में तृतीय अध्याय के प्रथम पाद पर्यन्त, तृतीय में तृतीय अध्याय की समाप्ति तक, चतुर्थ में पंचम अध्याय तक तथा पंचम खण्ड में षष्ठ अध्याय तक की व्याख्या लिखी गई हैं। इन खण्डों का प्रकाशन क्रमशः 2034, 2035, 2037, 2041 तथा 2043 वि. में हुआ।
 
==सन्दर्भ==
{{Reflist}}
 
==इन्हें भी देखें==
*[[ब्रह्मदत्त 'जिज्ञासु']]
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
[[श्रेणी:संस्कृत विद्वान]]