"गौरीदत्त": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
|||
पंक्ति 24:
==देवनागरी पत्रिकाओं का आरम्भ, सम्पादन एवं प्रकाशन==
पंडित गौरीदत्त ने देवनागरी के प्रचार के लिए जहां स्थान-स्थान पर अनेक पाठशालाएं स्थापित कीं वहीं अपनी लेखनी को भी इस दिशा में लगाया। आपने ‘नागरी-सौ अक्षर‘ अक्षर दीपिका‘, ‘नागरी की गुप्त वार्ता‘, ‘लिपि बोधिनी‘, ‘देवनागरी के भजन‘ और ‘गौरी नागरी कोष‘, ‘देवनागरी गजट‘ तथा ‘नागरी पत्रिका‘ नामक पत्र का सम्पादन तथा प्रकाशन भी किया था। इस कार्य के लिए आप प्रायः अपने क्षेत्र के मेलों-खेलों में भी जाया करते थे और वहां पर नाटक प्रदर्शित करके और भाषण आदि देकर जनता को देवनागरी के महत्व से परिचित कराया करते थे। अपनी इस धुन के कारण जनता आपको ‘देवनागरीप्रचारानन्द‘ और ‘हिन्दी का सुकरात‘ तक कहती थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि आपने ‘[[नागरी प्रचारिणी सभा|काशी नागरी प्रचारिणी सभा]]‘ की स्थापना (16 जुलाई सन् 1893) से पूर्व ही सन् 1892 में
==हिन्दी के प्रथम उपन्यास के रचयिता==
|