"वाणिज्य": अवतरणों में अंतर
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जब किसी देश में अशांति रहती है और चोर तथा डाकुओं का भय बढ़ जाता है, तब उसके वाणिज्य पर भी उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। वाणिज्य की उन्नति में एक और बाधा उस आयातकर की होती है, जो कोई देश अपने उद्योग धंधों को दूसरे देशों की प्रतियोगिता से बचाने के लिए कुछ वस्तुओं के आयात पर लगाता है।
वाणिज्य में धनप्राप्ति की भावना ही प्रधान रहती है। कभी कभी स्वार्थ की भावना इतनी प्रबल हो जाती है कि वणिक् लोग वस्तुओं में मिलावट करके बेचते हैं, माल के तौलने में बेईमानी करते हैं और झूठे विज्ञापन देकर अथवा चोरबाजारी करके अपने ग्राहकों को ठगने का प्रयत्न करते हैं। वे इस बात का विचार नहीं करते कि उनके इन
== वाणिज्यवाद ==
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