"वियोगी हरि": अवतरणों में अंतर

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'''वियोगी हरि''' (1895-1988 ई.) प्रसिद्ध [[गांधीवादी]] एवं [[हिन्दी]] के साहियकार थे। ये आधुनिक [[ब्रजभाषा]] के प्रमुख कवि, हिंदी के सफल गद्यकार तथा समाज-सेवी संत थे। "वीर-सतसई" पर इन्हें [[मंगलाप्रसाद पारितोषिक]] मिला था। उन्होंने अनेक ग्रंथों का संपादन, प्राचीन कविताओं का संग्रह तथा संतों की वाणियों का संकलन किया। कविता, नाटक, गद्यगीत, निबंध तथा बालोपयोगी पुस्तकें भी लिखी हैं। वे [[हरिजन सेवक संघ]], [[गाँधी स्मारक निधि]] तथा [[भूदान]] आंदोलन में सक्रिय रहे।
वियोगी हरि का जन्म छतरपुर (मध्य प्रदेश) में सन १८९६ ई० में हुआ।
मृत्यु- १९८८ ई०
 
==जीवनवृत्त==
आधुनिक युग
वियोगी हरि का जन्म छतरपुर (मध्य प्रदेश) में सन १८९६ ई० में हुआ।एक कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंश में हुआ था। पालन-पोषण एवं शिक्षा ननिहाल में घर पर ही हुई।
साहित्य विहार, वीर सतसई, प्रेम पथिक, वीणा, प्रेमांजलि, प्रेमशतक, तरंगिणी, अन्तर्नाद, पगली, प्रार्थना, छद्मयोगिनी, वीर हरदौल, मेरा जीवन प्रवाह, मंदिर प्रवेश, मेवाड़ केसरी, बुद्ध वाणी, विश्वधर्म।
 
==कृतियाँ एवं संकलन==
भाषा कोमल शब्दावली से युक्त खड़ीबोली।अंग्रेजी, अरबी, फारसी आदि के शब्दों का प्रयोग।
वियोगी हरि ने लगभग 40 पुस्तकें रची हैं। इनके मुख्य रचनाएँ हैं-
शैली विचारात्मक, भावात्मक, संवादात्मक आदि।
 
'भावना, 'प्रार्थना, 'प्रेम-शतक, आधुनिक युग, साहित्य विहार, वीर सतसई, प्रेम पथिक, वीणा, प्रेमांजलि, प्रेमशतक, तरंगिणी, अन्तर्नाद, पगली, प्रार्थना, छद्मयोगिनी, वीर हरदौल, मेरा जीवन प्रवाह, मंदिर प्रवेश, मेवाड़ केसरी, बुद्ध वाणी, विश्वधर्म।
 
==भाषा एवं शैली==
'''भाषा''' कोमल शब्दावली से युक्त खड़ीबोली।अंग्रेजीखड़ीबोली। अंग्रेजी, अरबी, फारसी आदि के शब्दों का प्रयोग।
 
'''शैली''' विचारात्मक, भावात्मक, संवादात्मक आदि।
 
*[[हिन्दी गद्यकार]]
*[[हिंदी साहित्य]]
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