"भारतीय थलसेना": अवतरणों में अंतर
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=== प्रथम कश्मीर युद्ध (१९४७) ===
{{Main|१९४७ का भारत-
आजादी के लगभग तुरंत बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया था और दोनों देशों के बीच पहले तीन पूर्ण पैमाने पर हुये युद्ध के बाद राजसी राज्य कश्मीर का विभाजन कर दिया गय। कश्मीर के महाराजा की भारत या पाकिस्तान में से किसी भी राष्ट्र के साथ विलय की अनिच्छा के बाद पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के कुछ हिस्सों मे आदिवासी आक्रमण प्रायोजित करवाया गया। भारत द्वारा आरोपित पुरुषों को भी नियमित रूप से पाकिस्तान की सेना मे शामिल किया गया। जल्द ही पाकिस्तान ने अपने दलों को सभी राज्यों को अपने में संलग्न करने के लिये भेजा। [[महाराजा हरि सिंह]] ने भारत और [[लॉर्ड माउंटबेटन]] से अपनी मदद करने की याचना की, पर उनको कहा गया कि भारत के पास उनकी मदद करने के लिये कोई कारण नही है। इस पर उन्होने कश्मीर के विलय के एकतरफा सन्धिपत्र पर हस्ताक्षर किये जिसका निर्णय ब्रिटिश सरकार द्वारा लिया गया पर पाकिस्तान को यह सन्धि कभी भी स्वीकार नहीं हुई। इस सन्धि के तुरन्त बाद ही भारतीय सेना को आक्रमणकारियों से मुकाबला करने के लिये श्रीनगर भेजा गया। इस दल में जनरल थिम्मैया भी शामिल थे जिन्होने इस कार्यवाही में काफी प्रसिद्धि हासिल की और बाद में भारतीय सेना के प्रमुख बने। पूरे राज्य में एक गहन युद्ध छिड़ गया और पुराने साथी आपस मे लड़ रहे थे। दोनो पक्षों में कुछ को राज्यवार बढत मिली तो साथ ही साथ महत्वपूर्ण नुकसान भी हुआ। १९४८ के अन्त में नियन्त्रण रेखा पर लड़ रहे सैनिकों में असहज शान्ति हो गई जिसको संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत और पाकिस्तान में विभाजित कर दिया गया। पाकिस्तान और भारत के मध्य कश्मीर में उत्पन्न हुआ तनाव कभी भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है।
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