"तंजावूर": अवतरणों में अंतर
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==निकटवर्ती दर्शनीय स्थल==
===सिक्कल सिंगरवेलवर मंदिर===
{{main|सिक्कल सिंगरवेलवर मंदिर, तंजौर}}
यह मंदिर तंजावुर से 80 किमी. दूर नागापट्टनम तिरुवरूर मुख्य मार्ग पर स्थित है। माना जाता है कि भगवान मुरुगन ने यहीं पर पार्वती से शक्ति वेल प्राप्त किया था और सूरन का वध किया था। यह मंदिर तमिलनाडु के उन कुछ मंदिरों में से एक है जहां शिव और विष्णु की मूर्ति एक साथ एक ही मंदिर में स्थापित हैं। तमिल पचांग के अनुसार लिप्पसी माह में वेल वैंकुंठल उत्सव यहां धूमधाम से मनाया जाता है।
===स्वामीमलई===
{{main|स्वामि मलय, तंजौर}}
तंजावुर से 32 किमी. दूर स्वामीमलई उन छ: मंदिरों में से एक है जो भगवान मुरुगन को समर्पित है। भगवान मुरुगन ने ऊं मंत्र का उच्चारण किया था और इसलिए उनका नाम स्वामीनाथम पड़ गया। मंदिर की 60 सीढ़ियां तमिल पंचांग के 60 वर्षो की परिचायक हैं। प्रत्येक गुरुवार, स्वामीनाथ को विशेष प्रकार से सजाया जाता है।
===तिरुवयरु===
{{main|तिरुवयरु}}
तंजावुर से 13 किमी. दूर इस स्थान पर संत [[त्यागराज]] ने अपना जीवन बिताया था और यहीं पर उन्होंने समाधि ली थी। तिरुवैयरु का प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। संत त्यागराज की याद में यहां हर साल जनवरी में आठ दिन का संगीत समारोह आयोजित किया जाता है।
===त्यागराजस्वामी मंदिर===
{{main|त्यागराजस्वामी मंदिर, तंजौर}}
तंजावुर से 55 किमी. दूर तिरुवरुर स्थित त्यागराजस्वामी मंदिर तमिलनाडु का सबसे बड़ा रथ शैली का मंदिर है। यहां त्यागराज, कमलंबा और वनमिक नथर का निवास है। मंदिर के स्तंभ और कमरें बहुत ही सुंदर हैं। राजराज चोलन त्यागराजस्वामी के परम भक्त थे। तिरुवरुर संत त्यागराज का जन्मस्थान भी है।
===वैठीश्वरन कोवली===
{{main|वैठीश्वरन कोवली, तंजौर}}
यह प्राचीन मंदिर शिव को समर्पित है। इस मंदिर का गुणगान अनेक संत कवियों ने अपनी रचनाओं में किया है। इसके स्तंभों और मंडपों की सुंदरता से आकर्षित होकर अनेक श्रद्धालु यहां आते हैं। कहा जाता है कि मंगल, कार्तिकेय और जटायु ने यहां भगवान शिव की स्तुति की थी। इस मंदिर को अगरकस्थानम भी माना जाता है।
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