"फोबिया": अवतरणों में अंतर

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'''दुर्भीति''' या '''फोबिया''' (Phobia) एक प्रकार का [[मनोविकार]] है जिसमें व्यक्ति को विशेष वस्तुओं, परिस्थितियों या क्रियाओं से डर लगने लगता है। यानि उनकी उपस्थिति में घबराहट होती है जबकि वे चीजें उस वक्त खतरनाक नहीं होती है। यह एक प्रकार की चिन्ता की बीमारी है। इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को हल्के अनमनेपन से लेकर डर के भयावाह दौरा तक पड़ सकता है।
 
दुर्भीति की स्थिति में व्यक्ति का ध्यान कुछ एक लक्षणों पर केन्द्रित हो सकता है, जैसे-दिल का जोर-जोर से धड़कना या बेहोशी लगना। इन लक्षणों से जुड़े हुए कुछ डर होते है जैसे-मर जाने का भय, अपने उपर नियंत्रण खो देने या पागल हो जाने का डर।
 
==परिचय==
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==फोबिया तथा साधारण भय में अन्तर==
फोबिया की बीमारी अन्य डरों से किस प्रकार अलग है? इसकी सबसे बड़ी विशेषता है व्यक्ति की चिन्ता, घबराहट और परेशानी यह जानकर भी कम नहीं होती कि दूसरे लोगो के लिए वही परिस्थिति खतरनाक नहीं है। यह डर सामने दिखने वाले खतरे से बहुत ज्यादा होते हैं। व्यक्ति को यह पता रहता है कि उसके डर का कोई तार्किक आधार नहीं है फिर भी वह उसे नियंत्रित नही कर पाता। इस कारण उसकी परेशानी और बढ़ जाती है।
 
इस डर के कारण व्यक्ति उन चीजों, व्यक्तियों तथा परिस्थितियों से भागने का प्रयास करता है जिससे उस भयावह स्थिति का सामना न करना पड़े। धीरे-धीरे यह डर इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति हर समय उसी के बारे में सोचता रहता है और डरता है कि कहीं उसका सामना न हो जाए। इस कारण उसके काम-काज और सामान्य जीवन में बहुत परेशानी होती है।<ref>[http://cipranchi.nic.in/cipranchi_adm/writereaddata/upload/files/manasik/UKO.pdf उजाले की ओर (फोबिया)] ([[केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान]], [[राँची]])</ref>
 
==प्रकार==
इसके मुख्यतः तीन प्रकार होते है-
 
* अगोराफोबिया (खुली जगह का डर),
 
* [[सामाजिक दुर्भीति]] या सोशल फोबिया,
 
* विशिष्ट फोबिया (Specific Phobia)।
 
'''अगोराफोबिया''' से पीड़ित व्यक्ति को घर से बाहर जाने में, दुकानों या सिनेमाघरों में घुमने, भीड़-भाड़ में जाने, ट्रेन में अकेले सफर करने, या सार्वजनिक जगहों में जाने, में घबराहट होती है। यानि ऐसी जगह से जहाँ से निकलना आसान न हो, व्यक्ति को घबराहट होती है और उससे बचने का प्रयास करता है।
 
'''सामाजिक दुर्भीति''' में किसी सामाजिक परिस्थिति जैसे-लोगों के सामने बोलना या लिखना, स्टेज पर भाषण देना, टेलीफोन सुनना, किसी उँचे पद पर आसीन लोगों से बातें करने में परेशानी होती है। विशेष फोबिया में किसी खास चीज या स्थिति में डर लगता है। उँचाई से डर, पानी से डर, तेलचट्टा, बिल्ली, कुत्ते, कीड़े से डर आदि।
 
बहुत से लोगों को डर होता है कि वो भीड़ में बेहोश होकर गिर जाएँगे। ये युवावस्था और स्त्रियों में अधिक पाया जाता है।
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इसके कारण कुछ मुख्य मनोवैज्ञानिक कारण निम्नलिखित हैं-
 
इसका एक मुख्य कारण कंडीशनिंग (Conditioning) माना जाता है। इसका मतलब है कि यदि किसी सामान्य परिस्थिति में व्यक्ति के साथ कुछ दुर्घटना घट जाती है तो उस घटना के घटने के बाद अगली बार कोई खतरा न होने पर भी व्यक्ति को उन परिस्थितियों में पुनः घबराहट होती है। अध्ययनो में पाया गया है कि यदि माताओं में ये रोग हो तो बच्चों में इसके पाए जाने की संभावना बहुत होती है क्योकिक्योंकि बच्चे उन लक्षणों को सीख लेते है।
 
आत्मविश्वास की कमी और आलोचना का डर भी कई बार इस रोग को जन्म देते है। इसके अलावा यह जैविक या अनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है।
 
==चिकित्सा==
इसके इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की औषधियाँ उपलब्ध है जो काफी प्रभावी है। तथापि इसके लिए मनोवैज्ञानिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी काफी आवश्यक एवं लाभदायक पाई गई है। यहाँ ध्यान देने की बात है कि इसका इलाज स्वयं दवाई लेकर नही करना चाहिए क्योकिक्योंकि इससे समस्या बढ़ सकती है।
 
== सन्दर्भ ==