"अंगूर": अवतरणों में अंतर

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== लाभ ==
अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है। अंगूर फल मां के दूघ के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर को शुद्ध बनाता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिएं। अंगूर के सेवन से फेफडों मे जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। श्वास [[रोग]] व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रूकावट में भी हितकर है। अंगूर का शरबत तो ""अमृत तुल्य"" है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्राव के समय क्षति हुई है। अंगूर का गूदा " ग्लूकोज व शर्करा युक्त " होता है। [[विटामिन ए|विटामिन]] "ए" पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन " भूख " बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस "एसप्रिन" की गोली के समान कारगर है। "एसप्रिन" खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में " फलोवोनाइडस " नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकडन होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। एनीमिया में अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोडा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। अंगूर के सेवन से हडि्डयाँ मजबूत होती हैं। अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।
 
== इतिहास ==
अंगूर की खेती का प्रारंभ अाज से ५०००-८००० साल पेहले Bharatभारत से हुआ था। <ref>{{cite journal |author=Patrice This, Thierry Lacombe, Mark R. Thomash |title=Historical Origins and Genetic Diversity of Wine Grapes |work= Trends in Genetics |volume= 22| issue = 8 |url=http://oak.cats.ohiou.edu/~ballardh/pbio480/thisetal2006-winegrapegeneticdiversity.pdf }}</ref>
 
== सन्दर्भ==
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== अंगूर चिकित्सा ==
अंगूर [[चिकित्सा]] को एम्पिलोथेरेपी  (प्राचीन ग्रीक “एम्फ़ीलोस” यानि “वाइन”) के नाम से भी जाना जाता है I यह  नैसर्गिक चिकित्सा या वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप है, जिसमें अंगूरों का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है, इसमें अंगूर के बीज, फल और पत्तियों का उपयोग किया जाता है I यद्यपि स्वास्थ्य प्रयोजनों में अंगूर के उपभोग से सकारात्मक लाभ के कुछ सीमित प्रमाण ही हैं, किन्तु कुछ चरम दावे भी हैं, जैसे कि अंगूर चिकित्सा द्वारा, कैंसर का इलाज संभव है लेकिन ये दावे महज़  नीमहकीमों  के व्यंग्यात्मक दावे हैं। <ref>[http://pubs.acs.org/doi/abs/10.1021/jf040087y]</ref>
 
वाइन” का स्वास्थ्य पर प्रभाव मुख्य रूप से, इसके सक्रिय घटक अल्कोहल के आधार पर निर्धारित होता है ।<ref>[http://www.annualreviews.org/doi/10.1146/annurev-nutr-011215-025104]</ref> <ref>[https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/9420448]</ref>कुछ अध्ययनों के अनुसार वाइन” की अल्प मात्रा (महिलाओं के लिए प्रति दिन एक मानक पेय और पुरुषों के लिए प्रति दिन एक से दो मानक पेय) पीने से दिल की बीमारी, स्ट्रोक, [[मधुमेह]], मेलिटस, मेटाबोलिक सिंड्रोम और शीघ्र मृत्यु का खतरा कम होता है । <ref>[https://dx.doi.org/10.1146%2Fannurev-nutr-011215-025104]</ref> हालांकि, अन्य अध्ययनों में इस तरह का कोई प्रभाव नहीं पाया गया । न्यू साइंटिफिक डेटा एंड रिसर्च के अनुसार,  डॉ. पंकज नारमनरम ने, वाइन के नियंत्रित सेवन से, होने वाले लाभों को सूचीबद्ध  किया  है I<ref>[http://totesnewsworthy.com/dr-pankaj-naram-fresh-research-wine/]</ref> मानक पेय मात्रा, की तुलना में वाइन के अधिक सेवन  से हृदय रोग,  उच्च रक्तचाप,  आर्टियल फाईब्रिलेशन, स्ट्रोक और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। <ref>[http://annonc.oxfordjournals.org/content/24/3/807]</ref>बहुत कम मात्रा में वाइन के सेवन से  कैंसर द्वारा मृत्यु दर में, मिश्रित परिणाम भी पाए गए हैं ।<ref>[http://www.bmj.com/content/351/bmj.h4238]</ref>
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अंगूर" से प्राप्त