"आर्थिक नीति": अवतरणों में अंतर

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* '''कीमतों पर नियंत्रण''' - आर्थिक निति के द्वारा देश में बढ़ी कीमतों पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि इसके अन्तर्गत केन्द्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा यह ध्यान रखा जाता है कि अपने संसाधनों एवं कार्यक्रमों का कुशल संचालन एवं प्रबन्ध किया जाए। परिणामस्वरूप इससे न केवल लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि हमारी नीति की उपयोगिता को समझने में भी सहायता मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त [[सार्वजनित वितरण प्रणाली]] को और अधिक सृदृढ़ बनाकर उसका विस्तार करके एवं कुशल प्रबन्ध के द्वारा कीमतों पर नियंत्रण किया जाता हैं।
 
* '''रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराना''' - आर्थिक निति का महत्त्व रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए भी है। कदम उठाना, इस दिशा में अपरिहार्य हो गया है।
 
* '''आर्थिक संकेन्द्रण को कम करना''' - समुचित आर्थिक नीतियाँ बनाने से देश में बड़े औद्योगिक घरानों की सम्पदा, आर्थिक शक्ति और आर्थिक संकेन्द्रण को कम किया जा सकता है।
 
* '''तीव्र आर्थिक विकास''' - आर्थिक नीतियों के माध्यम से देश में तीव्र आर्थिक विकास होता है क्योंकि इसके अन्तर्गत देश में उपलब्ध संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग कर अर्थतन्त्र को घोषित दिशा दी जाती है। साधनों की सीमितता को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकताओं का निर्धारण कर अधिक महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं को पहले पूरा किया जाता है। इसके अतिरिक्त आर्थिक नीति के आधार पर विकास के आधारभूत ढाँचे को सुदृढ़ भी किया जाता है ताकि देश के भावी विकास का मार्ग प्रशस्त हो।
 
* '''नियोजित विकास को प्रोत्साहन''' - विकासशील देशों ने तीव्र आर्थिक विकास के लिए नियोजन (प्लानिंग) को अपनाया है। आर्थिक नीति से नियोजित विकास को प्रोत्साहन मिलता है क्योंकि इसमें बनायी गयी योजनाओं के अनुसार नीतियों में परिवर्तन किया जाता है, उन्हें सरल बनाया जाता है और कमियों को दूर किया जाता है।
 
* '''नागरिकों का अधिकतम सामाजिक कल्याण''' - आर्थिक नीतियाँ बनाने से देश के नागरिकों का अधिकतम सामाजिक कल्याण होता है। इसका कारण यह है कि देश में ऐसी नीतियाँ बनायी जाती हैं जिससे आय एवं सम्पत्ति का गरीब व्यक्तियों के पक्ष में वितरण हो। इसके अतिरिक्त आर्थिक साधनों का इस प्रकार का उपयोग किया जाता है कि अधिकतम कल्याण की प्राप्ति हो।
 
* '''उत्पादन में वृद्धि''' -आर्थिक नीति से उत्पादन में भी वृद्धि होती है क्योंकिः
 
:* [[कृषि नीति]] ऐसी बनायी जाती है कि किसानों को उनकी उपज की उचित कीमत मिले और वे अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित हों,
 
:* [[औद्योगिक नीति]] इस प्रकार बनायी जाती है कि देश में तेजी से औद्योगिक विकास हो, उत्पादन बढ़े और जनता को उपयोग की वस्तुयें उपलब्ध हों। इसके साथ ही आधारभूत उद्योगों का विकास भी हो।
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* '''विदेशी निजी विनियोजनों में वृद्धि''' - समुचित आर्थिक नीतियों के माध्यम से विदेशी निजी विनियोजनों में वृद्धि की जा सकती है।
 
* '''निर्यात में वृद्धि''' - आर्थिक नीतियों से देश के निर्यातों में वृद्धि होती है क्योंकि इससे भुगतान असन्तुलन का सामना किया जा सकता है।
 
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1. '''साख नियन्त्रण''' : इसका आशय साख की मात्रा को देश की आवश्यकताओं के अनुरूप समायोजित करना है।
 
2. '''ब्याज दर''' : विकासशील देशोदेशों में मौद्रिक नीति की सफलता के लिए बैंक विभिन्न प्रकार के निक्षेपों तथा ऋणों के लिए भिन्न-भिन्न ब्याज की दरों को निर्धारित करती है जिसका उद्देश्य जमाओं अथवा ऋणों को प्रोत्साहित या निरूत्साहित करना होता है।
 
3. '''विनिमय दर''' : मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य विनिमय दर में स्थिरता बनाये रखना है।
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3. '''जनसंख्या नीति''' : किसी देश के आर्थिक विकास में मानवीय संसाधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन देश की जनसंख्या में अधिक वृद्धि, उसके गुणात्मक पहलू में कमी आदि से देश के आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। औद्योगिक नीति की सहायक नीति के रूप में जनसंख्या नीति तैयार की जाती है।
 
4. कृषि नीति
 
5. औद्योगिक नीति