"पुष्पक विमान": अवतरणों में अंतर
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आशीष भटनागर (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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|archiveurl= |archivedate= |quote= }}--> </ref> अन्य ग्रन्थों में उल्लेख अनुसार पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि [[अंगिरा ऋषि]] द्वारा एवं इसका निर्माण एवं साज-सज्जा देव-शिल्पी [[विश्वकर्मा]] द्वारा की गयी थी। ▼
|title= जानिए रावण के रहस्य उसकी लंका में थे छह एयरपोर्ट
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इस विमान में जो तकनीक प्रयोग हुई है, उसके पीछे आध्यात्मिक विज्ञान ही है। ग्रन्थों के अनुसार आज में किसी भी पदार्थ को जड़ माना जाता है, किन्तु प्राचीन काल में सिद्धिप्राप्त लोगों के पास इन्हीं पदार्थों में चेतना उत्पन्न करने की क्षमता उपलब्ध थी, जिसके प्रयोग से ही वे विमान की भांति परिस्थितियों के अनुरूप ढलने वाले यंत्र का निर्माण कर पाते थे। वर्तमान काल में विज्ञान के पास ऐसे तकनीकी उत्कृष्ट समाधान उपलब्ध नहीं है, तभी ये बातें काल्पनिक एवं अतिश्योक्ति लगती हैं। उस काल में विज्ञान में पदार्थ की चेतना को जागृत करने की क्षमता संभवतः रही होगी जिसके प्रभाव से ही यह विमान स्व-संवेदना से क्रियाशील होकर आवश्यकता के अनुसार आकार परिवर्तित कर लेता था। पदार्थ की चेतना को जागृत करने जैसी विद्याओं के अन्य प्रमाण भी [[रामायण]] एवं विभिन्न हिन्दू धर्म ग्रंथों में प्राप्त होते हैं। पुष्पक विमान में यह भी विशेषता थी कि वह उसी व्यक्ति से संचालित होता था, जिसने विमान संचालन मंत्र सिद्ध किया हो।<ref name="बदलाव"/>
== विमानक्षेत्र ==
कई अध्ययन एवं शोधकर्त्ताओं के अनुसार, रावण की लंका में इस पुष्पक विमान के अलावा भी कई प्रकार के विमा थे, जिनका प्रयोग वह अपने राज्य के अलग-अलग भागों में तथा राज्य के बाहर आवागमन हेत्तु किया करता था। इस तथ्य की पुष्टि वाल्मिकी रामायण के श्लोक द्वारा भी होती है। लंका विजय उपरान्त राम ने पुष्पक विमान में उड़ते हुए लक्ष्मण से यह कहा था कि कई विमानों के साथ, धरती पर लंका चमक रही है। यदि यह विष्णु की का वैकुंठधाम होता तो यह पूरी तरह से सफेद बादलों से घिरा होता।
इन विमाज़ों के उड़ज़े व अवत्तरण हेतु लंका में छह विमानक्षेत्र थे। ये इस प्रकार से हैं:
* वेरागन्टोटा (वर्त्तमान श्रीलंका के महीयांगना): वेरागन्टोटा एक [[सिंहली भाषा]] का शब्द है, जिसका अर्थ होता है विमान के अवतरण का स्थल।
*थोटूपोला कांडा (वर्त्तमान होटोन प्लेन्स): थोटूपोला का शाब्दिक अर्थ विमानत्तल से ही है, याज़ि ऐसा स्थान, जहां से कोई अपनी यात्रा शुरू करता हो। कांडा का अर्थ है पर्वत। थोटूपोला कांडा सागर तल से छः हजार फीट की ऊंचाई पर एक समतल जमीन थी, जो विमान उत्तरण एवं अवतरण के लिये सटीक स्थान था।
* दंडू मोनारा विमान: यह विमान रावण के द्वारा प्रयोग किया जाता था। स्थानीय सिंहली भाषा में मोनारा का अर्थ मोर से है, तो दंडू मोनारा का अर्थ मोर जैसा उड़ने वाला।
* वारियापोला (मेतेले): वारियापोला के कई शब्दों का सम्धि विच्छेद करज़े पर वथा-रि-या-पोला बनता है। इसका अर्थ है, ऐसा स्थान जहां से विमान को उड़ज़े और अवत्तरण करज़े, दोनों की सुविधा हो। वर्तमान में यहां मेतेले राजपक्षा अज़्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र उपस्थित है।
* गुरुलुपोथा (महीयानगाना): सिंहली भाषा के इस शब्द को पक्षियों के हिस्से कहा जाता है। इस विमानक्षेत्र में विमान घर (एयरक्राफ्ट हैंगर) एवं मरम्मत केन्द्र हुआ करता था।
* दंडू मोनारा विमान: यह विमान रावण द्वारा प्रयोग में लाया जाता था। स्थानीय सिंहली भाषा में मोनारा का अर्थ मोर से है। दंडू मोनारा का अर्थ मोर जैसा उड़ने वाला।<ref name="जगत">
==सन्दर्भ==
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