"पुष्पक विमान": अवतरणों में अंतर

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|archiveurl= |archivedate= |quote= }} </ref><ref name="अवश्य">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/dussehra-special/ravana-116100500048_3.html
|archiveurl= |archivedate= |quote= }} </ref> अन्य ग्रन्थों में उल्लेख अनुसार पुष्पक विमान का प्रारुप एवं निर्माण विधि [[अंगिरा ऋषि]] द्वारा एवं इसका निर्माण एवं साज-सज्जा देव-शिल्पी [[विश्वकर्मा]] द्वारा की गयी थी। भारत के प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में लगभग दस हजार वर्ष पूर्व विमानों एवं युद्धों में तथा उनके प्रयोग का विस्तृत वर्णन दिया है। इसमें बहुतायत में रावन के पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा अन्य सैनिक क्षमताओं वाले विमानों, उनके प्रयोग, विमानों की आपस में भिडंत, अदृश्य होना और पीछा करना, ऐसा उल्लेख मिलता है। यहां प्राचीन विमानों की मुख्यतः दो श्रेणियाँ बताई गई हैं- प्रथम मानव निर्मित विमान, जो आधुनिक विमानों की भांति ही पंखों के सहायता से उडान भरते थे, एवं द्वितीय आश्चर्य जनक विमान, जो मानव द्वारा निर्मित नहीं थे किन्तु उन का आकार प्रकार आधुनिक उडन तशतरियों के अनुरूप हुआ करता था।<ref name="ट्री"> {{cite web |url=http://hindi.speakingtree.in/allslides/content-244055
|title= रावण की 10 खास बातें जो आपको जानना चाहिए, अवश्य पढ़ें....
 
|accessmonthday= |accessdate= |last= |first= |authorlink= |coauthors= |date= |year= |month= |format= |work= [[दैनिक जागरण]] |publisher= वेब दुनिया |pages= |language=
 
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|title= रावण के पास सच में था पुष्पक-विमान!
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[[File:Sita Abduction.jpg|thumb|300px|[[मोढेरा]] स्थित सूर्य मंदिर के स्तम्भ में रावण द्वारा पुष्पक विमान से सीता हरण का दृश्य]]
 
इस विमान में बहुत सी विशेषताएं थीं, जैसे इसका आकार आवश्यकतानुसार छोटा या बड़ा किया जा सकता था। कहीं भी आवागमन हेतु इसे अपने मन की गति से असीमित चलाया जा सकता था। यह नभचर वाहन होने के साथ ही भूमि पर भी चल सकता था। इस विमान में स्वामी की इच्छानुसार गति के साथ ही बड़ी संख्या में लोगों के सवार होने की क्षमता भी थी।<ref name="अवश्य"/> यह विमान यात्रियों की संख्या और वायु के घनत्व के हिसाब से स्वमेव अपना आकार छोटा या बड़ा कर सकता था।<ref name="ज्ञान">{{cite web |url=http://www.gyanpanti.com/secrets-of-pushpak-vimana-in-hindi/
|title= पुष्पक विमान के अदभुत रहस्य
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वर्त्तमान श्रीलंका की श्री रामायण रिसर्च समित्ति के अनुसार रावण के पास अपने पुष्पक विमान को रखने के लिए चार विमानक्षेत्र थे। इन चार विमानक्षेत्त्रोंविमानक्षेत्रों में से एक का नाम उसानगोड़ा था। इस हवाई अड्डे को हनुमान जी ने लंका दहन के समय जलाकर नष्ट कर दिया था।<ref name="अवश्य"/> अन्य तीन हवाई अड्डे गुरूलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला थे जो सुरक्षित बच गए।<ref name="उजाला"/>
 
==ग्रन्थों में उल्लेख==
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कई अध्ययन एवं शोधकर्त्ताओं के अनुसार, रावण की लंका में इस पुष्पक विमान के अलावा भी कई प्रकार के विमान थे, जिनका प्रयोग वह अपने राज्य के अलग-अलग भागों में तथा राज्य के बाहर आवागमन हेतु किया करता था। इस तथ्य की पुष्टि वाल्मिकी रामायण के श्लोक द्वारा भी होती है, जिसमें लंका विजय उपरान्त राम ने पुष्पक विमान में उड़ते हुए लक्ष्मण से यह कहा था कि कई विमानों के साथ, धरती पर लंका चमक रही है। यदि यह विष्णु की का वैकुंठधाम होता तो यह पूरी तरह से सफेद बादलों से घिरा होता।<ref name="जगत"/>
 
इन विमाज़ोंविमानों के उड़ने व अवत्तरण हेतु लंका में छह विमानक्षेत्र थे।<ref name=""> {{cite web |url=http://www.delhitopnews.com/astro/the-history-of-this-gold-lanka/
|title= जानिए, इस सोने की लंका का इतिहास…
 
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|archiveurl= |archivedate= |quote= }} </ref><ref name="अवश्य"/>ये इस प्रकार से हैं:
 
* वेरागन्टोटा (वर्त्तमान श्रीलंका के महीयांगना): वेरागन्टोटा एक [[सिंहली भाषा]] का शब्द है, जिसका अर्थ होता है विमान के अवतरण का स्थल।