"उत्तराखण्ड": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
{{मुख्य|उत्तराखण्ड का इतिहास}} ''यह भी पढ़ें: [[उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन]], [[रामपुर तिराहा गोली काण्ड]], [[श्रीनगर, गढ़वाल का इतिहास]],[[उत्तराखंडउत्तराखण्ड में स्वाधीनता संग्राम]]''
[[स्कन्द पुराण]] में [[हिमालय]] को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है:-
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'''केदारोऽथ जालन्धरोऽथ रूचिर काश्मीर संज्ञोऽन्तिमः॥'''
</blockquote>
अर्थातअर्थात् हिमालय क्षेत्र में [[नेपाल]], कुर्मांचल ([[कुमाऊँ मण्डल|कुमाऊँ]]), केदारखण्ड ([[गढ़वाल मण्डल|गढ़वाल]]), जालन्धर ([[हिमाचल प्रदेश]]) और सुरम्य [[कश्मीर]] पाँच खण्ड है।<ref>[http://www.merapahadforum.com/religious-places-of-uttarakhand/mention-about-uttarakhand-places-in-epics/ मेरापहाड़.कॉम]। ऍम ऍस मेहता। ६ अक्टूबर २००९</ref>
[[चित्र:Shiva Bearing the Descent of the Ganges River, folio from a Hindi manuscript by the saint Narayan LACMA M.86.345.6.jpg|alt=संतसन्त नारायण ने शीर्ष पर गिरती गंगा का कार्टून चित्र|left|thumb|300x300px|
]]
पौराणिक ग्रन्थों में कुर्मांचल क्षेत्र मानसखण्ड के नाम से प्रसिद्व था। पौराणिक ग्रन्थों में उत्तरी हिमालय में सिद्ध [[गन्धर्व]], [[यक्ष]], [[किन्नर]] जातियों की सृष्टि और इस सृष्टि का राजा [[कुबेर]] बताया गया हैं। कुबेर की राजधानी अलकापुरी ([[बद्रीनाथ]] से ऊपर) बताईबतायी जाती है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार राजा कुबेर के राज्य में आश्रम में ऋषि-मुनि तप व साधना करते थे। [[अंग्रेज़]] इतिहासकारों के अनुसार हूण, शक, नाग, खस आदि जातियाँ भी हिमालय क्षेत्र में निवास करती थी। पौराणिक ग्रन्थों में केदार खण्ड व मानस खण्ड के नाम से इस क्षेत्र का व्यापक उल्लेख है। इस क्षेत्र को देव-भूमिदेवभूमि व तपोभूमि माना गया है।
 
मानस खण्ड का कुर्मांचल व [[कुमाऊँ]] नाम [[चन्द राजवंश|चन्द राजाओं]] के शासन काल में प्रचलित हुआ। कुर्मांचल पर चन्द राजाओं का शासन [[कत्यूरी राजवंश|कत्यूरियों]] के बाद प्रारम्भ होकर सनसन् [[१७९०]] तक रहा। सनसन् [[१७९०]] में [[नेपाल]] की गोरखा सेना ने कुमाऊँ पर आक्रमण कर कुमाऊँ राज्य को अपने आधीन कर लिया। गोरखाओं का कुमाऊँ पर सनसन् [[१७९०]] से [[१८१५]] तक शासन रहा। सनसन् १८१५ में अंग्रेंजो से अन्तिम बार परास्त होने के उपरान्त गोरखा सेना नेपाल वापस चली गईगयी किन्तु अंग्रेजों ने कुमाऊँ का शासन चन्द राजाओं को न देकर [[ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी|ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के अधीन कर दिया। इस प्रकार कुमाऊँ पर अंग्रेजो का शासन [[१८१५]] से आरम्भ हुआ।
[[चित्र:United Provinces 1903.gif|thumb|right|200px|[[आगरा और अवध का संयुक्त प्रांतप्रान्त|संयुक्त प्रांतप्रान्त]] का भाग उत्तराखण्ड, १९०३]]
ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार केदार खण्ड कई गढ़ों (किले) में विभक्त था। इन गढ़ों के अलग-अलग राजा थे जिनका अपना-अपना आधिपत्य क्षेत्र था। इतिहासकारों के अनुसार पँवार वंश के राजा ने इन गढ़ों को अपने अधीनकरअधीन कर एकीकृत गढ़वाल राज्य की स्थापना की और [[श्रीनगर, उत्तराखण्ड|श्रीनगर]] को अपनी राजधानी बनाया। केदार खण्ड का गढ़वाल नाम तभी प्रचलित हुआ। सनसन् [[१८०३]] में नेपाल की गोरखा सेना ने गढ़वाल राज्य पर आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया। यह आक्रमण लोकजन में [[गोरखाली]] के नाम से प्रसिद्ध है। महाराजा गढ़वाल ने नेपाल की गोरखा सेना के अधिपत्य से राज्य को मुक्त कराने के लिए अंग्रेजोअंग्रेजों से सहायता मांगी। अंग्रेज़ सेना ने नेपाल की गोरखा सेना को देहरादून के समीप सनसन् १८१५ में अन्तिम रूप से परास्त कर दिया। किन्तु गढ़वाल के तत्कालीन महाराजा द्वारा युद्ध व्यय की निर्धारित धनराशि का भुगतान करने में असमर्थता व्यक्त करने के कारण अंग्रेजों ने सम्पूर्ण गढ़वाल राज्य राजा गढ़वाल को न सौंप कर [[अलकनन्दा]]-[[मन्दाकिनी नदी|मन्दाकिनी]] के पूर्व का भाग [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी|ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के शासन में सम्मिलित कर गढ़वाल के महाराजा को केवल [[टिहरी जिला|टिहरी जिले]] (वर्तमान उत्तरकाशी सहित) का भू-भाग वापस किया। गढ़वाल के तत्कालीन महाराजा सुदर्शन शाह ने [[२८ दिसंबरदिसम्बर]] १८१५ को<ref>[http://jayuttarakhand.blogspot.com/2007_12_01_archive.html उत्तराखण्ड का इतिहास]। जय उत्तराखण्ड। १९ दिसम्बर २००७। उत्तराखण्डी</ref> टिहरी नाम के स्थान पर जो [[भागीरथी]] और भिलंगना नदियों के संगम पर छोटा -सा गाँव था, अपनी राजधानी स्थापित की।<ref name="घुघुती">[http://www.ghughuti.com/blog/view/id_757 उत्तराखण्ड का इतिहास एवं परिचय]। घुघुती। २४ अगस्त २००८। धानसिंह</ref> कुछ वर्षों के उपरान्त उनके उत्तराधिकारी महाराजा नरेन्द्र शाह ने ओड़ाथली नामक स्थान पर [[नरेन्द्रनगर]] नाम से दूसरी राजधानी स्थापित की। सनसन् १८१५ से देहरादून व [[पौड़ी गढ़वाल]] (वर्तमान [[चमोली जिला]] और [[रुद्रप्रयाग जिला|रुद्रप्रयाग जिले]] का [[अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग|अगस्त्यमुनि]] व [[ऊखीमठ]] विकास खण्ड सहित) अंग्रेजोअंग्रेजों के अधीन व टिहरी गढ़वाल महाराजा टिहरी के अधीन हुआ।<ref name="अंकुर">[http://nationalnews1.blogspot.com/2009/12/blog-post.html कैसे बना उत्तरांचल राज्य]। एनसीआर न्यूज़। ११ दिसम्बर २००९। अंकुर वत्स</ref><ref>[http://www.readers-cafe.net/uttaranchal/2006/02/22/history-of-tehri-garhwal/ टेहरीटिहरी गढ़वाल का संक्षिप्‍त इतिहास]। उत्तरांचल-उत्तराखण्ड। २२ फ़रवरी २००६। तरुण।</ref><ref>[http://www.younguttarakhand.com/community/b10/t1744/ उत्तराखण्ड : कुछ तथ्य इतिहास के झरोखे से...]। यंगौत्तराखण्ड कम्युनिटी- ऑल अबाउट उत्तराखण्ड</ref>
 
भारतीय गणतन्त्र में टिहरी राज्य का विलय अगस्त [[१९४९]] में हुआ और टिहरी को तत्कालीन [[आगरा और अवध का संयुक्त प्रान्त|संयुक्त प्रान्त]] (उ.प्र.उत्तर प्रदेश) का एक जिला घोषित किया गया। [[भारत-चीन युद्ध|१९६२ के भारत-चीन युद्ध]] की पृष्ठ भूमिपृष्ठभूमि में सीमान्त क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से सनसन् [[१९६०]] में तीन सीमान्त जिले [[उत्तरकाशी जिला|उत्तरकाशी]], [[चमोली जिला|चमोली]] व [[पिथौरागढ़ जिला|पिथौरागढ़]] का गठन किया गया। एक नएनये राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के फलस्वरुप (उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, २०००) उत्तराखण्ड की स्थापना [[९ नवंबरनवम्बर]] २००० को हुई। इसलिएअत: इस दिन को उत्तराखण्ड में स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 
सनसन् १९६९ तक [[देहरादून जिला|देहरादून]] को छोड़कर उत्तराखण्ड के सभी जिले [[कुमाऊँ मण्डल]] के अधीन थे। सनसन् [[१९६९]] में [[गढ़वाल मण्डल]] की स्थापना की गईगयी जिसका मुख्यालय [[पौड़ी जिला|पौड़ी]] बनाया गया। सनसन् १९७५ में देहरादून जिले को जो मेरठ प्रमण्डल में सम्मिलित था, गढ़वाल मण्डल में सम्मिलित कर लिया गया। इससे गढवालगढ़वाल मण्डल में जिलों की संख्या पाँच हो गई।गयी। कुमाऊँ मण्डल में [[नैनीताल जिला|नैनीताल]], [[अल्मोड़ा जिला|अल्मोड़ा]], [[पिथौरागढ़ जिला|पिथौरागढ़]], तीन जिले सम्मिलित थे। सनसन् [[१९९४]] में [[उधम सिंह नगर जिला|उधमसिंह नगर]] और सनसन् १९९७ में [[रुद्रप्रयाग जिला|रुद्रप्रयाग]], [[चम्पावत जिला|चम्पावत]] व [[बागेश्वर जिला|बागेश्वर]] जिलों का गठन होने पर उत्तराखण्ड राज्य गठन से पूर्व गढ़वाल और कुमाऊँ मण्डलों में छः-छः जिले सम्मिलित थे। उत्तराखण्ड राज्य में [[हरिद्वार जिला|हरिद्वार]] जनपद के सम्मिलित किये जाने के पश्चात गढ़वाल मण्डल में सात और कुमाऊँ मण्डल में छः जिले सम्मिलित हैं। १ जनवरी २००७ से राज्य का नाम "उत्तराञ्चलउत्तरांचल" से बदलकर "उत्तराखण्ड" कर दिया गया है।
 
== भूगोल ==