"श्वेताम्बर तेरापन्थ": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:MarydaPatral1.jpg|350px|thumb|right|भिक्षु स्वामी द्वारा लिखित '''मर्यादापत्र''' का प्रथम पृष्ट]]
'''श्वेताम्बर तेरापन्थ''', [[जैन धर्म]] में श्वेताम्बर संघ की एक शाखा का नाम है। इसका उद्भव विक्रम संवत् 1817 (सन् 1760) में हुआ। इसका प्रवर्तन मुनि भीखण (भिक्षु स्वामी) ने किया था जो कालान्तर में आचार्य भिक्षु कहलाये। वे मूलतः स्थानकवासी संघ के सदस्य और आचार्य रघुनाथ जी के शिष्य थे।