"चक्रवाल विधि": अवतरणों में अंतर
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: ''ह्रस्वज्येष्ठपदक्षेपान् भाज्यप्रक्षेपभाजकान् ।
: ''कृत्वा कल्प्यो गुणस्तत्र तथा प्रकृतितश्च्युते॥
: ''गुणलब्धिः पदं ह्रस्वं ततो
: ''त्यक्त्वा पूर्वपदक्षेपांश्चक्रवालमिदं जगुः॥
: ''चतुर्द्वेकयुतावेवमभिन्ने भवतः पदे।
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