"राजा हरिश्चन्द्र": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
in my know raja harish chandra son name is rohtash according pandit lakhmi chand sangs |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Harishchandra by RRV.jpg|300px|right|thumb|राजा हरिश्चन्द्र तथा उनकी पत्नी और बेटे का बिककर अलग होना (राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित)]]
'''राजा हरिश्चंद्र''' [[अयोध्या]] के प्रसिद्ध सूर्यवंशी राजा थे जो सत्यव्रत के पुत्र थे। ये अपनी सत्यनिष्ठा के लिए अद्वितीय हैं और इसके लिए इन्हें अनेक कष्ट सहने पड़े। ये बहुत दिनों तक पुत्रहीन रहे पर अंत में अपने कुलगुरु [[वशिष्ठ]] के उपदेश से इन्होंने [[वरुणदेव]] की उपासना की तो इस शर्त पर पुत्र जन्मा कि उसे '''हरिश्चंद्र''' यज्ञ में बलि दे दें। पुत्र का नाम रोहिताश्व रखा गया और जब राजा ने वरुण के कई बार आने पर भी अपनी प्रतिज्ञा
रोग से छुटकारा पाने और वरुणदेव को फिर प्रसन्न करने के लिए राजा वशिष्ठ जी के पास पहुँचे। इधर [[इंद्र]] ने रोहिताश्व को वन में भगा दिया। राजा ने वशिष्ठ जी की सम्मति से अजीगर्त नामक एक दरिद्र ब्राह्मण के बालक [[शुन:शेप]]को खरीदकर यज्ञ की तैयारी की। परंतु बलि देने के समय शमिता ने कहा कि मैं पशु की बलि देता हूँ, मनुष्य की नहीं। जब शमिता चला गया तो [[विश्वामित्र]] ने आकर शुन:शेप को एक मंत्र बतलाया और उसे जपने के लिए कहा। इस मंत्र का जप कने पर वरुणदेव स्वयं प्रकट हुए और बोले - '''हरिश्चंद्र''' , तुम्हारा यज्ञ पूरा हो गया। इस ब्राह्मणकुमार को छोड़ दो। तुम्हें मैं जलोदर से भी मुक्त करता हूँ।
पंक्ति 11:
:चन्द्र टरै सूरज टरै, टरै जगत व्यवहार, पै दृढ श्री हरिश्चन्द्र का टरै न सत्य विचार।
इनकी पत्नी का नाम तारा था और पुत्र का नाम
== इन्हें भी देखें==
|