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[[File:Malvi Language Area and Malvi Pradesh State.png|thumb|Malvi Language Spoken Regions in India]]
 
मालवी [[भारत]] के [[मालवा]] क्षेत्र की भाषा है।मालवा भारत भूमि के हृदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा के विस्तार को इन पंक्तियों में बांधने की कोशिश लोक जीवन में मिलती है-
मालवी [[भारत]] के [[मालवा]] क्षेत्र की भाषा है।यह मुख्यतः मध्य प्रदेश और राजस्थान के 22 से अधिक जिलों में प्रयोग की जाती है। इन जिलों में इंदौर, उज्जैन, धार, देवास, मन्दसौर, रतलाम, नीमच, राजगढ़, शाजापुर, आगर, झालावाड़, चित्तौड़, सीहोर, भोपाल, हरदा, झाबुआ आदि प्रमुख हैं।
 
इत चम्बल, उत बेतवा, मालवा सीम सुजान।
इसे 2 करोड़ से भी अधिक लोग बोलते हैं।
 
दक्षिण दिसि है नर्मदा, यह पूरी पहचान।।
 
अर्थात् पूर्व दिशा में बेतवा (वेत्रवती) नदी, उत्तर-पश्चिम में चम्बल (चर्मण्यवती) और दक्षिण में पुण्य सलिला नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। आज मालवा क्षेत्र मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग बीस जिलों में विस्तार लिए हुए है। इन क्षेत्रों के दो करोड़ से अधिक निवासी मालवी और उसकी विविध उपबोलियों का व्यवहार करते हैं। वर्तमान में मालवी भाषा का प्रयोग मध्यप्रदेश के उज्जैन संभाग के नीमच, मन्दसौर, रतलाम, उज्जैन, देवास एवं शाजापुर जिलों, इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, अलीराजपुर, हरदा और इन्दौर जिलों, भोपाल संभाग के सीहोर, राजगढ़, भोपाल, रायसेन और विदिशा जिलों, ग्वालियर संभाग के गुना जिले, राजस्थान के झालावाड़, प्रतापगढ़, बाँसवाड़ा एवं चित्तौड़गढ़ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में होता है। मालवी की सहोदरा निमाड़ी भाषा का प्रयोग बड़वानी, खरगोन, खंडवा, हरदा और बुरहानपुर जिलों में होता है। मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में मालवी तथा अन्य निकटवर्ती बोलियों जैसे निमाड़ी, बुंदेली आदि के मिश्रित रूप प्रचलित हैं। इन जिलों में हरदा, होशंगाबाद, बैतूल, छिन्दवाड़ा आदि उल्लेखनीय हैं। सातवीं शती में जब व्हेनसांग भारत आया था तो वह मालवा के पर्यावरण और लोकजीवन से गहरे प्रभावित हुआ था। तब उसने दर्ज भी किया,‘इनकी भाषा मनोहर और सुस्पष्ट है।’
मालवा समृद्धि एवं सुख से भरपूर क्षेत्र माना जाता है। ‘देश मालवा गहन गंभीर, डग-डग रोटी पग-पग नीर’ जैसी उक्ति लोक-जीवन में प्रचलित है। जीवन की यही विशिष्टताएं मालवा के इतिहास, संस्कृति, साहित्य, कला आदि में प्रतिबिम्बित हुई हैं। लोककलाओं के रस से मालवांचल सराबोर है। मालवा क्षेत्र का भू-भाग अत्यंत विस्तृत है। सुदूर अतीत से यहाँ प्रवहमान नदियों, स्थानीय भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधता के रहते मालवी की अलग-अलग छटाएँ लोकजीवन में दिखाई देती हैं। इन्हीं से मालवी के अलग-अलग क्षेत्रीय रूप या विविध उपबोलियाँ अस्तित्व में आई हैं। एक प्रसिद्ध उक्ति भी इसी तथ्य की ओर संकेत करती है, "बारा कोस पे वाणी बदले, पाँच कोस पे पाणी।"
प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा के अनुसार मालवी का केन्द्र उज्जैन, इंदौर, देवास और उसके आसपास का क्षेत्र है। इसी मध्यवर्ती मालवी को आदर्श या केन्द्रीय मालवी कहा जाता है, जो अन्य निकटवर्ती बोलियों के प्रभाव से प्रायः अछूती है। केन्द्रीय या आदर्श मालवी के अलावा मालवी के कई उपभेद या उपबोलियाँ भी अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। मालवी के प्रमुख उपबोली रूप हैं-
*केन्द्रीय या आदर्श मालवी
*सोंधवाड़ी
*रजवाड़ी
*दशोरी या दशपुरी
*उमठवाड़ी
*भीली
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मालवी" से प्राप्त