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महान सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ-साथ उज्जैन की गणना पवित्र सप्तपुरियों में की जाती है। महाकालेश्वर मंदिर और पावन क्षिप्रा ने युगों-युगों से असंख्य लोगों को उज्जैन यात्रा के लिए आकर्षित किया। सिंहस्थ महापर्व पर लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री और भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के साधु-संत पूरे भारत का एक संक्षिप्त रूप उज्जैन में स्थापित कर देते हैं, जिसे देख कर सहज ही यह जाना जा सकता है कि यह महान राष्ट्र किन अदृश्य प्रेरणाओं की शक्ति से एक सूत्र में बंधा हुआ है।
सिंहस्थ कुम्भ महापर्व हेतु निम्नानुसार 10 योग वांछित होते हें<ref>http://www.simhasthujjain.in/about-simhasth/simhasth-2016/?lang=hi</ref>
* सिंह राशि में गुरु (बृहस्पति )
* मेष राशि का सूर्य
* तुला का चन्द्रमा
* वैशाख मास
* शुक्ल पक्ष
* पूर्णिमा तिथि
* कुशस्थली- उज्जयिनी तीर्थ
* स्वाति नक्षत्र
* व्यतिपात योग
* सोमवार
 
== प्राचीन परम्परा ==