"हिन्दू पंचांग": अवतरणों में अंतर

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'''हिन्दू पंचांग''' [[हिन्दू]] समाज द्वारा माने जाने वाला [[कालदर्शक|कैलेंडर]] है। इसके भिन्न-भिन्न रूप मे यह लगभग पूरे [[नेपाल]] और [[भारत]] मे माना जाता है। '''पंचांग''' (पंच + अंग = पांच अंग) [[हिन्दू]] काल-गणना की रीति से निर्मित पारम्परिक [[कैलेण्डर]] या कालदर्शक को कहते हैं। पंचांग नाम पाँच प्रमुख भागों से बने होने के कारण है, यह है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है।
एक साल में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं। १२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन [[विक्रम संवत]] से शुरू हुआ। महीने का हिसाब [[सूर्य]] व [[चंद्रमा]] की गति पर रखा जाता है। यह १२ [[राशियाँ]] बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि मे प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र मे होता है उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से ११ दिन ३ घड़ी ४८ पल छोटा है। इसीलिए हर ३ वर्ष मे इसमे एक महीना जोड़ दिया जाता है जिसे [[अधिक मास]] कहते हैं।<!-- इसके अनुसार एक साल को बारह महीनों में बांटा गया है और प्रत्येक महीने में तीस दिन होते हैं. महीने को चंद्रमा की कलाओं के घटने और बढ़ने के आधार पर दो पक्षों यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में विभाजित किया गया है. एक पक्ष में लगभग पंद्रह दिन या दो सप्ताह होते हैं. एक सप्ताह में सात दिन होते हैं. एक दिन को तिथि कहा गया है जो पंचांग के आधार पर उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक होती है. दिन को चौबीस घंटों के साथ-साथ आठ पहरों में भी बांटा गया है. एक प्रहर कोई तीन घंटे का होता है. एक घंटे में लगभग दो घड़ी होती हैं, एक पल लगभग आधा मिनट के बराबर होता है और एक पल में चौबीस क्षण होते हैं. पहर के अनुसार देखा जाए तो चार पहर का दिन और चार पहर की रात होती है|
In Eastern India, including [[Assam]], [[Bengal]], [[Odisha]] the Panchangam is referred to as [[Panjika]].
 
== तिथि ==
एक दिन को तिथि कहा गया है जो पंचांग के आधार पर उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक की होती है। चंद्र मास में ३० तिथियाँ होती हैं, जो दो पक्षों में बँटी हैं। शुक्ल पक्ष में एक से चौदह और फिर [[पूर्णिमा]] आती है। पूर्णिमा सहित कुल मिलाकर पंद्रह तिथि। कृष्ण पक्ष में एक से चौदह और फिर अमावस्या आती है। अमावस्या सहित पंद्रह तिथि।
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सूर्य के धनुसंक्रमण से मकरसंक्रमण तक मकर राशी में रहता हे। इसे '''धनुर्मास''' कहते है। इस माह का धार्मिक जगत में विशेष महत्व है।
 
== चंद्रमास ==magseer
चंद्रमा की कला की घट-बढ़ वाले दो पक्षों (कृष्‍ण और शुक्ल) का जो एक मास होता है वही चंद्रमास कहलाता है। यह दो प्रकार का शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर अमावस्या को पूर्ण होने वाला 'अमांत' मास मुख्‍य चंद्रमास है। कृष्‍ण प्रतिपदा से 'पूर्णिमात' पूरा होने वाला गौण चंद्रमास है। यह तिथि की घट-बढ़ के अनुसार 29, 30 व 28 एवं 27 दिनों का भी होता है।
 
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== इन्हे भी देखें ==
* [[चन्द्रवाक्य]]
* [[पंचांग]] (भारतीय कैलेंडर})
* [[ग्रेगरी का कैलेण्डर]]
* [[ग्रेगरी कैलेंडर]] (Gregorian calendar)
* [[इस्लामी कैलेंडर]]
* [[चीनी कैलेंडर]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==