"विश्वज्ञानकोश": अवतरणों में अंतर
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'''विश्वज्ञानकोश''', '''विश्वकोश''' या '''ज्ञानकोश''' ({{lang-en|Encyclopedia}}) ऐसी [[पुस्तक]] को कहते हैं <ref name="Oxford English Dictionary">{{cite web|url=http://www.oed.com/view/Entry/61848?redirectedFrom=encyclopaedia#eid |format=online |publisher=[[Oxford English Dictionary]] (OED.com), [[Oxford University Press]] |title=encyclopaedia |accessdate=February 18, 2012}}</ref> जिसमें विश्वभर की तरह तरह की जानने लायक बातों को समावेश होता है। विश्वकोश का अर्थ है विश्व के समस्त ज्ञान का भंडार। अत: विश्वकोश वह कृति है जिसमें ज्ञान की सभी शाखाओं का सन्निवेश होता है। इसमें वर्णानुक्रमिक रूप में व्यवस्थित अन्यान्य विषयों पर संक्षिप्त किंतु तथ्यपूर्ण निबंधों का संकलन रहता है। यह संसार के समस्त सिद्धांतों की पाठ्यसामग्री है। विश्वकोश अंग्रेजी शब्द "इनसाइक्लोपीडिया" का समानार्थी है, जो ग्रीक शब्द इनसाइक्लियॉस (एन = ए सर्किल तथा पीडिया = एजुकेशन) से निर्मित हुआ है। इसका अर्थ शिक्षा की परिधि अर्थात् निर्देश का सामान्य पाठ्यविषय है।
इस किस्म की बातें अनंत है, इस लिये किसी भी विश्वज्ञानकोश को कभी 'पूरा हुआ' घोषित नहीं किया जा सकता। विश्वज्ञानकोश में सभी विषयों के लेख हो सकते हैं किन्तु एक विषय वाले विश्वकोश भी होते हैं। विश्वकोष में उपविषय (टापिक), उस भाषा के वर्णक्रम के अनुसार व्यवस्थित किये गये होते
पहले विश्वकोष एक या अनेक खण्डों में पुस्तक के रूप में ही आते थे। कम्प्यूटर के प्रादुर्भाव से अब सीडी आदि के रूप में भी तरह-तरह के विश्वकोष उपलब्ध हैं। अनेक विश्वकोश अन्तरजाल (इंटरनेट) पर 'ऑनलाइन' भी उपलब्ध हैं।
ऐतिहासिक दृष्टि से विश्वकोषों का विकास शब्दकोषों (डिकशनरी) से हुआ है। ज्ञान के विकास के साथ ऐसा अनुभव हुआ कि शब्दों का अर्थ एवं उनकी परिभाषा दे देने मात्र से उन विषयों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं मिलती, तो विश्वकोषों का आविर्भाव हुआ। आज भी किसी विषय को समर्पित विश्वकोष को शब्दकोश ref>{{cite web |url=http://library.rcc.edu/riverside/glossaryoflibraryterms.htm#e |title=Encyclopedia. |archiveurl=https://web.archive.org/web/20070803182506/http://library.rcc.edu/riverside/glossaryoflibraryterms.htm#e |archivedate=August 3, 2007}} Glossary of Library Terms. Riverside City College, Digital Library/Learning Resource Center. Retrieved on: November 17, 2007.</ref>भी कहा जाता है; जैसे 'सूक्ष्मजीवविज्ञान का शब्दकोश' आदि।
== उपयोगिता ==
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प्राचीन अथवा मध्ययुगीन निबंधकारों द्वारा विश्वकोश ('इनसाइक्लोपीडिया') शब्द उनकी कृतियों के नामकरण में प्रयुक्त नहीं होता था पर उनका स्वरूप विश्वकोशीय ही था। इनकी विशिष्टता यह थी कि ये लेखक विशेष की कृति थे। अत: ये वस्तुपरक कम, व्यष्टिपरक अधिक थे तथा लेखक के ज्ञान, क्षमता एवं अभिरुचि द्वारा सीमित होते थे। विषयों के प्रस्तुतीकरण और व्याख्या पर उने व्यक्तिगत दृष्टिकोणों की स्पष्ट छाप रहती थी। ये संदर्भग्रंथ नहीं वरन् अन्यान्य विषयों के अध्ययन हेतु प्रयुक्त निर्देशक निबंधसंग्रह थे।
विश्व की सबसे पुरातन विश्वकोशीय रचना अफ्रीकावासी [[मार्सियनस मिस फेलिक्स कॉपेला]] की '''सटोराअ सटीरिक''' है। उसने पाँचवीं शती के आरंभकाल में गद्य तथा पद्य में इसका प्रणयन किया। यह कृति मध्ययुग में शिक्षा का आदर्शागार समझी जाती थी। मध्ययुग तक ऐसी अन्यान्य कृतियों का सर्जन हुआ, पर वे प्राय: एकांगी थीं और उनका क्षेत्र सीमित था। उनमें त्रुटियों एवं विसंगतियों का बाहुल्य रहता था। इस युग को सर्वश्रेष्ठ कृति व्यूविअस के विसेंट का ग्रंथ "बिब्लियोथेका मंडी" या "स्पेकुलस मेजस" था। यह तेरहवीं शती के मध्यकालीन ज्ञान का महान संग्रह था। उसने इस ग्रंथ में मध्ययुग की अनेक कृतियों को सुरक्षित किया। यह कृति अनेक विलुप्त आकर रचनाओं तथा अन्यान्य ग्रंथों की मूल्यवान पाठ्यसामग्रियों का सार प्रदान करती
प्राचीन [[ग्रीस]] में [[स्प्युसिपस]] तथा [[अरस्तू]] ने महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की थी। स्प्युसिपस ने पशुओं तथा वनस्पतियों का विश्वकोशीय वर्गीकरण किया तथा अरस्तू ने अपने शिष्यों के उपयोग के लिए अपनी पीढ़ी के उपलब्ध ज्ञान एवं विचारों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने के लिए अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया। इस युग में प्रणीत विश्वकोशीय ग्रंथों में प्राचीन रोमवासी [[प्लिनी]] की कृति "[[नैचुरल हिस्ट्री]]" हमारी विश्वकोश की आधुनिक अवधारणा के अधिक निकट है। यह मध्य युग का उच्च आधिकाधिक ग्रंथ है। यह 37 खंडों एवं 2493 अध्यायों में विभक्त है जिसमें ग्रीकों के विश्वकोश के सभी विषयों का सन्निवेश है। प्लिनी के अनुसार इसमें 100 लेखकों के 2000 ग्रंथों से संगृहीत 20,000 तथ्यों का समावेश है। सन् 1536 से पूर्व इसके 43 संस्करण प्रकाशित हो चुके थे। इस युग की एक प्रसिद्ध कृति फ्रांसीसी भाषा में 19 खंडों में प्रणीत (सन् 1360) बार्थोलोमिव द ग्लैंविल का ग्रंथ "[[डी प्रॉप्रिएटैटिबस रेरम]]" था। सन् 1495 में इसका अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित हुआ तथा सन् 1500 तक इसके 15 संस्करण निकल चुके थे।
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