"अंग्रेजी उपन्यास": अवतरणों में अंतर
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'''अंग्रेजी उपन्यास''' विश्व के महान साहित्य का विशिष्ट अंग है।
[[File:Samuel Richardson by Joseph Highmore (2).jpg|thumb|left|220px| रिचर्ड्सन का पोर्ट्रेट। [[नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी, लन्दन|नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी]], [[वेस्टमिन्स्टर]], इंग्लैंड]]
[[अंग्रेजी]] [[उपन्यास]] की प्रेरणा के स्रोत मध्यकालीन ऐंग्लो-सैक्सन रोमांस थे, जिनकी अद्भुत घटनाओं और कथाओं ने परवर्ती कथाकारों की कल्पना को उड़ने के लिए पंख दिए। यह रोमांस जीवन की वास्तविकताओं के अतिरंजित चित्र थे और अलेक्सांदर अथवा ट्रॉय आदि के युद्धों से संबंध होते थे। ऐसे प्राचीन रोमांस आगे चलकर गद्य रूप में भी प्रस्तुत हुए। इनमें सर टॉमस मैलरी का ‘मौर्त द आर्थर’ (1484) विशेष उल्लेखनीय है। गद्य में कथा कहने का इंग्लैंड में यह पहला प्रयास था। अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में इसी प्रकार की अन्य कृतियाँ सर टॉमस मोर की ‘यूटोपिया’(1516) और सर फिलिप सिडनी की ‘आर्केडिया’(1590) थी।
कुछ [[इतिहासकार]] [[जॉन लिली]] (1554-1606) के उपन्यास ‘यूफुइस’ (1580) को पहला अंग्रेजी उपन्यास कहते हैं। किस रचना को पहला अंग्रेजी उपन्यास कहा जाय, इस संबंध में बहुत कुछ मतभेद संभव है, किंतु अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में युफुइस का उल्लेख अनायास हो जाता है। इस उपन्यास की भाषा बहुत कुछ कृत्रिम और आलंकारिक है तथा अँग्रेजी गद्य के विकास पर इस शैली का बहुत प्रभाव पड़ा था। अंग्रेजी दरबारी जीवन का इस उपन्यास में सजीव और यथार्थ चित्रण है।
एलिज़ाबेथ के युग में [[शेक्सपियर]] के पूर्ववर्ती लेखकों ने अनेक उपन्यास लिखे, जिनमें से कुछ ने शेक्सपियर को उनके नाटकों के कथानक भी प्रदान किए। ऐसी रचनाओं में रॉबर्ट ग्रीन (1562-92) को ‘पैडोस्टो’और टॉमस लॉज (1558-1625) की ‘रोज़ेलिंड’उल्लेखनीय है। टॉमस नैश (1567-1601) पहले अंग्रेजी कथाकार थे जिन्होंने यथार्थवाद और व्यंग को अपनाया। उनके उपन्यास ‘दि अन्फार्चुनेट ट्रैवेलर ऑर दि लाइफ ऑव जैक विल्टन’में जीवन के बहुरंगी चित्र हैं। कथा का नायक विल्टन देश-विदेशों में घूमता-फिरता है और कथानक घटनाओं के विचित्र जाल में गुँथा है। एलिज़ाबेथ युगीन लेखकों में टॉमस डेलानी (1543-1600) को भी उपन्यासकार कहा गया है। उनके उपन्यास ‘जैक ऑव न्यूवरी’में एक तरुण जुलाहे का वर्णन है जो अपने स्वामी की विधवा से [[विवाह]] करके समृद्ध जीवन बिताता है।
17वीं शताब्दी में रोमांस का पुनरुत्थान हुआ, ऐसी कथाओं का जिनका उपहास ‘डॉन क्विग्ज़ोट ’ में किया गया है। अंग्रेजी उपन्यास की इन रचनाओं का कोई विशेष महत्व नहीं है। अंग्रेजी उपन्यास में एक महत्त्वपूर्ण कदम जॉन बन्यन (1628-1688) का उपन्यास ‘दि पिलग्रिम्स प्रोग्रेस’था। यह कथा रूपक है जिसमें कथा नायक क्रिश्चियन अनेक बाधाओं का सामना करता हुआ अपने लक्ष्य तक पहुँचता है।
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18वीं शताब्दी में [[इंग्लैंड]] में चार उपन्यासकारों ने अंग्रेजी उपन्यास को प्रगति का मार्गं दिखाया। रिचर्ड्सन (1689-1761) ने अपने उपन्यासों से मध्यम वर्ग के नए पाठकों को परितोष प्रदान किया। इनके तीन उपन्यासों के नाम हैं-‘पैमेला’, ‘क्लैरिसा हालों’और ‘सर चार्ल्स ग्रांडीसन’। रिचर्ड्सन की रचनाएँ भावुकता से भरी थीं और उनकी नैतिकता संदिग्ध थी। इन त्रुटियों की आलोचना के लिए फील्डिंग (1707-1754) ने अपने उपन्यास, ‘जोजेफ ऐंड्र्यूज’, ‘टाम जोन्स’, ‘एमिलिया’और ‘जोनेथन वाइल्ड’लिखे। इन रचनाओं ने अंग्रेजी उपन्यास को दृढ़ धरातल और विकास के लिए ठोस परंपरा प्रदान की। 18वीं शताब्दी में जिन चार उपन्यासकारों ने अंग्रेजी उपन्यास की विशेष समृद्ध किया उनमें दो अन्य नाम स्मॉलेट (1721-1771) और स्टर्न (1713-1768) के हैं। इस शताब्दी का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास था गोल्डस्मिथ (1728-1774) का ‘दि विकार ऑव वेकफील्ड’।
[[सर वाल्टर स्कॉट]] (1771-1832) और [[जेन मास्टिन]] (1775-1817) की कृतियाँ अंग्रेजी उपन्यास की निधि है। स्कॉट ने अंग्रेजी इतिहास का कल्पनारंजित और रोमानी चित्रण अपने उपन्यासों में किया। स्काटलैंड के जनजीवन का अनुपम अंकन भी हमें उनकी कृतियों में मिलता है। स्कॉट इंग्लैंड के सबसे सफल [[ऐतिहासिक]] उपन्यासकार है। उनकी रचनाओं में ‘आइवनहो’, ‘केनिथवर्थ’और ‘दि टैलिस्मान’की बहुत ख्याति है। जेन आस्टिन मध्यवर्गीय नारी जीवन की कुशल कलाकार हैं। वे व्यंग और निर्ममता से पात्रों को प्रस्तुत करती है। बाह्य जीपन का इतना सजीव अंकन साहित्य में दुर्लभ है। जेन ऑस्टिन की रचनाओं में ‘प्राइड ऐंड प्रेजुडिस’, ‘एमा’और ‘पर्सुएशन’ की विशेष ख्याति है।
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अंग्रेजी उपन्यास प्रगति के शिखर पर पहुँचा। यह डिफेन्स (1812-1870) और थैकरे (1811-1863) का युग है। इस युग के अन्य महान उपन्यासकार जॉर्ज इलियट, जॉर्ज मेरेडिक, ट्रोलोप, हेनरी जेम्स आदि है। डिकेन्स इंग्लैंड के सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यासकार है। उन्होंने पिकविक के समान अमर पात्रों की सृष्टि की जो अंग्रेजी के पाठकों की स्मृति में सदा के लिए घर कर चुके हैं। डिकेन्स ने अपने काल की कुरीतियों पर भी अपने साहित्य में कठोर प्रहार किया। उन्होंने बच्चों की वेदना को अपनी कृतियों में मार्मिक अभिव्यक्ति दी। कानून की उलझनों, सरकारी दफ्तरों केचक्र, फ़ैक्टरियों में मजदूरों के कष्ट आदि विषयों का भी डिकेन्स की कृतियों में सशक्त अंकन है। उनके उपन्यासों में ‘पिकनिक पेपर्स’, ‘ऑलिवर ट्विस्ट’, ‘ओल्ड क्यूरिऑसिटी शॉप’, ‘डेविड कॉपरफील्ड’, ‘ए टेल ऑव टू सिटीज’, ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स’, आदि विशेष महत्त्वपूर्ण है।
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[[विक्टोरिया युग]] में अनेक महत्त्वपूर्ण कलाकारों ने अंग्रेजी उपन्यास को समृद्ध किया। डिज़रेली (1804-1881) ने राजनीतिक उपन्यास लिखे, बुलबर लिटन (1803-1873) ने ‘दि लास्ट डेज़ ऑव पांपेई’के से सफल ऐतिहासिक उपन्यास लिखे। चार्ल्स किंग्सली (1891-1875) ने ‘वेस्टवर्ड’हो और ‘हिपैशिया’के से उत्कृष्ट ऐतिहासिक उपन्यास अंग्रेजी को दिए। इसी प्रकार चार्ल्स रोड (1814-1884), चार्लेट ब्रौन्टे (1816-1855), ऐमिली ब्रौन्टे (1818-1848), मिसेज गैस्केल (1810- 1865), विल्की कॉलिन्स (1824-1889) आदि के नाम अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में स्मरणीय है।
[[जार्ज इलियट]] (1819-1880) की गणना इंग्लैंड के महान उपन्यासकारों में है, यद्यपि काल के प्रवाह ने आज उनकी कला का मूल्य कम कर दिया है। उनके विशेष सफल उपन्यासों में ‘साइलस मार्नर’, ‘ऐडम बीड’, ‘दि मिल ऑन दि फ्लास’और ‘रामोला’के नाम हैं। ऐंटनीट्रौलौप (1815-82) ने बारसेट नाम के क्षेत्र का अंतरंग चित्रण अपने उपन्यासों में किया और स्थानीय [[रंग]] का महत्व उपन्यास साहित्य में प्रतिष्ठित किया। मेरेडिथ (1828-1909) ने अपने पात्रों की मानसिक उलझनों की विशद व्याख्या अपने उपन्यासों में प्रस्तुत की। इनमें ‘इगोइस्ट’की बहुत ख्याति हुई। मनोवैज्ञानिक गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास हेनरी जेम्स (1843-1916) की कला में उपन्यास को अंतर्मुखी रूप देता है। टॉमस हार्डी (1840-1928) विश्व के विधान पर कठोर आघात करते हैं और मनुष्य को जीवन शक्तियों के असहाय शिकार के रूप में प्रस्तुत करते हैं। हार्डी ने अंग्रेजी उपन्यास को गाढ़े क्षेत्रीय रंग में भी रँगा। उनके उपन्यासों में ‘दि रिटर्न ऑव दि नेटिव’, ‘दि मेयर ऑव कैस्टरब्रिज’, ‘टेस’ और ‘ज्यूड दि आब्सक्योर’ महत्त्वपूर्ण है।
[[आधुनिक काल]] में एक ओर तो [[मनोविश्लेषणवाद]] का महत्व बढ़ा जिसके कारण अंग्रेजी उपन्यास में ‘चेतना के प्रवाह’नाम की प्रवृत्ति का उदय हुआ। दूसरी ओर जीवन के सूक्ष्म किंतु व्यापक रूप को समझने के प्रयास, का भी विकास हुआ। जेम्स ज्वॉयस (1882-1942) रचित ‘यूलिसीज़’उपन्यास मन के सूक्ष्म और महान व्यापारों का अध्ययन प्रस्तुत करता है। उन्हीं के समान वर्जीनिया वुल्फ (1882-1941) और डॉरोथी रिचर्ड्सन भी ‘चेतना के प्रवाह’की शैली को अपनाती है। एच. जी. वेल्स (1866-1946), आर्नल्ड बैनेट (1867-1931) और जॉन गाल्सवर्दी (1867-1933) की कृतियाँ अंग्रेजी उपन्यास की आधुनिक [[शक्ति]] का अनुभव पाठक को कराती हैं। वेल्स सामाजिक और [[वैज्ञानिक]] समस्याओं को अपनी रचनाओं में उठाते हैं। आर्नल्ड बैनेट यथार्थवादी दृष्टि से [[इंग्लैंड]] के ‘पाँच नगर’ शीर्षक क्षेत्र का सूक्ष्म चित्रण करते हैं। गाल्सवर्दी इंग्लैंड के उच्च मध्यवर्गीय जीवन की व्यापक झाँकी फोर्साइट नाम के परिवार के माध्यम से देते हैं। डी.एच. लॉरेन्स (1885-1930) और आल्डस हक्सले (1894-1963) आज के प्रमुख अंग्रेजी उपन्यासकारों में उल्लेखनीय हैं। इसी श्रेणी में ई.एम. फॉर्स्टर (1879-1970), ह्यू वालपोल (1884-1941), जे.बी. प्रीस्टले (1894) और सॉमरसेट मॉम (1874-1958) भी हैं।
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