"जिलाधिकारी": अवतरणों में अंतर

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{{मूल शोध|date=जून 2015}}
'''उपायुक्त''' [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] का एक प्रमुख प्रशासनिक पद है। उपायुक्त जिसे अंग्रेजी में ''डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर'' के नाम से भी जाना जाता है [[भारत]] के विभिन्न प्रांतों में एक [[जिला|जिले]] का मुख्य प्रशासक होता है।
{{स्रोतहीन|date=जून 2015}}
अंग्रेज़ शासन के दौरान सन १७७२ में लोर्ड वारेन हेस्टिंग्स द्वारा बुनियादी रूप से नागरिक प्रशासन और 'भू राजस्व की वसूली' के लिए गठित 'जिलाधिकारी' का पद, अब राज्य के लोक-प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदों में प्रमुख। इसका उल्लेख चाणक्य ने अपने ग्रन्थ अर्थशास्त्र में "समाहर्ता" के नाम से किया है, जिसका मुख्य कार्य राजकर, राजस्व की वसूली तथा जनपद के निम्न कार्यादिक का निरीक्षण करना होता है |
 
'जिलाधीश', 'जिलाधिकारी', 'कलेक्टर' के रूप में अधिक परिचित शब्द, जिले में राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकारसंपन्न प्रतिनिधि या प्रथम लोक-सेवक, जो मुख्य जिला विकास अधिकारी के रूप में सारे प्रमुख सरकारी विभागों- पंचायत एवं ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद, अल्पसंख्यक कल्याण, कृषि, भू-संरक्षण, शिक्षा, महिला अधिकारता, ऊर्जा, उद्योग, श्रम कल्याण, खनन, खेलकूद, पशुपालन, सहकारिता, परिवहन एवं यातायात, समाजकल्याण, सिंचाई, सार्वजनिक निर्माण विभाग, स्थानीय प्रशासन आदि आदि के सारे कार्यक्रमों और नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन करवाने के लिए अपने जिले के लिए अकेले उत्तरदायी है।
{{आधार}}
वह जिला मजिस्ट्रेट के रूप में पुलिस अधीक्षक के साथ प्रमुखतः जिले की संपूर्ण कानून-व्यवस्था का प्रभारी है, सभी तरह के चुनावों का मुख्य प्रबंधक है, जनगणना-आयोजक, प्राकृतिक-आपदा प्रबंधक, भू-राजस्व-वसूलीकर्ता, भूअभिलेख-संधारक, नागरिक खाद्य व रसद आपूर्ति-व्यस्थापक, ई-गतिविधि नियंत्रक, जनसमस्या-विवारणकर्ता, भी है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
[[श्रेणी:नागरिक शास्त्र]]
* http://www.egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/25909/1/Unit-17.pdf
 
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[[श्रेणी:जिला प्रशासन]]