"नर्मदा नदी": अवतरणों में अंतर

शहडोल जिला की जगह अनूपपुर जिला है
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{{Geobox|River
| name = नर्मदा नदी (रेवा)
| other_name = Narmada (Rewa)रेवा
|country = भारत
|state = [[मध्यप्रदेश]]
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[[गुजरात]]
|city = अमरकंटक
|city1 = मंडला
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| image_caption = नर्मदा नदी संगमरमर की चट्टानों के बीच, भेड़ाघाट जबलपुर
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सभी देवता, ऋषि मुनि, गणेश, कार्तिकेय, राम, लक्ष्मण, हनुमान आदि ने नर्मदा तट पर ही तपस्या करके सिद्धियाँ प्राप्त की। दिव्य नदी नर्मदा के दक्षिण तट पर सूर्य द्वारा तपस्या करके आदित्येश्वर तीर्थ स्थापित है। इस तीर्थ पर (अकाल पड़ने पर) ऋषियों द्वारा तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर दिव्य नदी नर्मदा १२ वर्ष की कन्या के रूप में प्रकट हो गई तब ऋषियों ने नर्मदा की स्तुति की। तब नर्मदा ऋषियों से बोली कि मेरे (नर्मदा के) तट पर देहधारी सद्गुरू से दीक्षा लेकर तपस्या करने पर ही प्रभु शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। इस आदित्येश्वर तीर्थ पर हमारा आश्रम अपने भक्तों के अनुष्ठान करता है।
==किंवदंती (लोक कथायें)==
नर्मदा नदी को लेकर कई लोक कथायें प्रचलित हैं एक कहानी के अनुसार नर्मदा जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है और राजा मैखल की पुत्री है। उन्होंने नर्मदा से शादी के लिए घोषणा की कि जो राजकुमार [[गुलबकावली]] के फूल उनकी बेटी के लिए लाएगा, उसके साथ नर्मदा का विवाह होगा। सोनभद्र यह फूल ले आए और उनका विवाह तय हो गया। दोनों की शादी में कुछ दिनों का समय था। नर्मदा सोनभद्र से कभी मिली नहीं थीं। उन्होंने अपनी दासी जुहिला के हाथों सोनभद्र के लिए एक संदेश भेजा। जुहिला ने नर्मदा से राजकुमारी के वस्त्र और आभूषण मांगे और उसे पहनकर वह सोनभद्र से मिलने चली गईं। सोनभद्र ने जुहिला को ही राजकुमारी समझ लिया। जुहिला की नियत भी डगमगा गई और वह सोनभद्र का प्रणय निवेदन ठुकरा नहीं पाई। काफी समय बीता, जुहिला नहीं आई, तो नर्मदा का सब्र का बांध टूट गया। वह खुद सोनभद्र से मिलने चल पड़ीं। वहां जाकर देखा तो जुहिला और सोनभद्र को एक साथ पाया। इससे नाराज होकर वह उल्टी दिशा में चल पड़ीं। उसके बाद से नर्मदा बंगाल सागर की बजाय अरब सागर में जाकर मिल गईं।
 
एक अन्य कहानी के अनुसार [[सोन नदी|सोनभद्र नदी]] को नद (नदी का पुरुष रूप) कहा जाता है। दोनों के घर पास थे। अमरकंटक की पहाडिय़ों में दोनों का बचपन बीता। दोनों किशोर हुए तो लगाव और बढ़ा। दोनों ने साथ जीने की कसमें खाई, लेकिन अचानक दोनों के जीवन में जुहिला आ गई। जुहिला नर्मदा की सखी थी। सोनभद्र जुहिला के प्रेम में पड़ गया। नर्मदा को यह पता चला तो उन्होंने सोनभद्र को समझाने की कोशिश की, लेकिन सोनभद्र नहीं माना। इससे नाराज होकर नर्मदा दूसरी दिशा में चल पड़ी और हमेशा कुंवारी रहने की कसम खाई। कहा जाता है कि इसीलिए सभी प्रमुख नदियां [[बंगाल की खाड़ी]] में मिलती हैं,लेकिन नर्मदा [[अरब सागर]] में मिलती है।
 
== ग्रंथों में उल्लेख ==