"भोजप्रबन्ध": अवतरणों में अंतर

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भोजप्रबंध, '''बल्लाल''' की कृति है। बल्लाल के संबंध में प्रामाणिक जानकारी नहीं है। इतना ही पता चलता है कि बल्लाल दैवज्ञ अथवा बल्लाल मिश्र नामक एक [[काशी]]निवासी विद्वान् था। उसके पिता का नाम त्रिमल्ल था। भोजप्रबंध के अंत:साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है कि बल्लाल का समय कहीं ई॰ 16वीं शताब्दी होगा।
 
भोजप्रबंध के नाम से बल्लाल के अतिरिक्त अन्य कवियों द्वारा प्रणीत कृतियाँ भी हैं। कहा जाता है कि [[मेरुतुङ्ग|आचार्य मेरुतुंग]] ने भी एक भोजप्रबंध लिखा था जो आज उपलब्ध नहीं है। इतना अवश्य है कि मेरुतुंग के "प्रबंध चिंतामणि" में भोज कथाएँ हैं। इसी तरह कवि पद्यगुप्त, वत्सराज, शुभशील एवं राजवल्लभ द्वारा प्रणीत भोजप्रबंध का उल्लेख ऑफ्रेक्ट ने किया है। परंतु ये कृतियाँ अद्यावधि अप्रकाशित हैं। बल्लालकृत भोजप्रबंध के दो पाठ उपलब्ध होते हैं- गौड़ीय पाठ जो [[कलकत्ता]] से प्रकाशित है तथा अधिक प्रचलित है, दूसरा दाक्षिणात्य पाठ जिसका प्रचार दव्विन के राज्यों में है। भोजप्रबंध पर [[जीवानन्द विद्यासागर]] कृत सुबोध टीका मिलती है। यह मूल ग्रंथ [[निर्णयसागर प्रेस, बंबई]] से भी प्रकाशित हुआ है। भोजप्रबंध का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है, अंग्रेजी में इसका अनुवाद [[लुई ग्रे]] द्वारा विरचित अमेरिकन ओरिएंटल सोसाइटी (ग्रंथसंख्या 34) से प्रकाशित हुआ है। कई पाश्चात्य मनीषियों ने भारतीय ऐतिहासिक तत्वों की खोज में भोजप्रबंध का अध्ययन कर तत्संबंधी अपने विचारों का प्रकाशन अनेक लेखों द्वारा किया है।
 
==सन्दर्भ==